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सैटेलाइट बताएगा योजनाओं के तहत जमीन पर कितना काम हुआ

भोपाल.प्रदेश में चल रही सरकारी याेजनाओं में लेटलतीफी और भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए अब सैटेलाइट की मदद ली जाएगी। जलस्त्रोतों को बचाने से लेकर मनरेगा तक में जमीनी स्तर पर हुए कामों का आकलन सैटेलाइट से मिले डेटा और तस्वीरों के आधार पर होगा।
 
यह जानकारी सोमवार को प्रशासन अकादमी में राज्य स्तरीय अधिवेशन के दौरान दी गई। इसराे के चेयरमैन डाॅ. एएस किरण कुमार ने बताया कि इसरो जो भी डेटा उपलब्ध कराएगा, उसके माध्यम से योजनाओं की प्लानिंग बेहतर तरीके से करने के साथ ही मॉनीटरिंग भी कर सकेंगे।
 
40 हजार जलस्रोतों की माॅनिटरिंग
डॉ. कुमार ने बताया कि तेलंगाना 40 हजार जलस्त्राेतों की मॉनीटरिंग इसरो के सैटेलाइट डेटा से कर रहा है। मध्यप्रदेश भी इसी तर्ज पर जलसंसाधनों की मॉनीटरिंग की जाएगी। हाल ही में एक साथ अधिक संख्या में सैटेलाइट छोड़ने के बाद इसरो अब एक साल में 18 सैटेलाइट लॉन्च करने की क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।
 
इन कामों के लिए भी इस्तेमाल होगा डेटा
-कॉलेजों में जीपीएस आधारित उपस्थिति नहीं हो पा रही है। दूरस्थ अंचलों तक वर्चुअल क्लास का फायदा भी नहीं पहुंच पा रहा है।
-व्यस्ततम समय में होने वाले ट्रैफिक के मैनेजमेंट के लिए इसरो मदद कर सकता है। सामान्य सुरक्षा के लिए भी टूल्स और एप्लीकेशन विकसित करने की जरूरत है।
-शिक्षण संस्थानों की जियो टैगिंग करना जरूरी है। पुरातत्व महत्व के स्मारकों की थ्रीडी मैपिंग अधिक संख्या में की जाए।
-कृषि क्षेत्र में विकास के लिए मौसम की सटीक जानकारी और फसल बीमा के काम में भी सैटेलाइट डेटा का उपयोग बढ़ाया जाए।
-विकास की योजनाओं में अभी सैटेलाइट इमेज और डाटा का उपयोग किया जा रहा है। इसी तर्ज पर उद्योगों के विकास के लिए भी इसरो के डाटा का उपयोग किया जाए।

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