आशुतोष राणा
-
रामराज्य : आशुतोष राणा की क़लम से..{भाग_६}
स्तम्भ: कैकेयी के स्वर ने राम में अपार ऊर्जा का संचार किया। एक हल्के से विराम के बाद राम ने कहा-…
Read More » -
रामराज्य : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग ५}
स्तम्भ: मंथरा के जाने के बाद कैकेयी मंथरा के विचारों का सूक्ष्म अवलोकन करने लगीं, मनुष्य स्वभाव से ही महत्वाकांक्षी…
Read More » -
रामराज्य : आशुतोष राणा की कलम से..{.भाग_४}
स्तम्भ: अयोध्या पीछे छूट चुकी थी, जनशून्य क्षेत्र आरम्भ हो चुका था। कैकेयी इस सत्य को जानती थीं कि जब…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से.. {भाग_१}
स्तम्भ: वे अपने महल के विशाल कक्ष में बेचैनी से चहल क़दमी कर रहे थे, मृत्यु के मुख पर खड़े…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग_२]
स्तम्भ : कंस ने लगभग डाँटते हुए कहा- मुझे बहलाओ मत कृष्ण। मैं गोकुल की गोपी नहीं हूँ, जो तुम्हारे…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से.. {भाग_३}
स्तम्भ : कृष्ण अपने हृदय की आत्मीयता को कंस पर उड़ेलते हुए बोले- मुक्त होने के लिए रिक्त होना पड़ता…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से… {भाग_४}
स्तम्भ : कृष्ण, मेरी माँ पवनरेखा अनिंद्य सुंदरी थी, अपने पति उग्रसेन के प्रति पूर्णतः समर्पित। किंतु किसी भी स्त्री…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण :आशुतोष राणा की कलम से स्तम्भ {भाग_५]
स्तम्भ: मेरा अनुभव है कृष्ण, कि #दुर्भाग्य व्यक्ति को #अपने_पास_बुलाता_है, किंतु #सौभाग्य व्यक्ति तक #स्वयं ही पहुँच जाता है। कंस…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण :आशुतोष राणा की कलम से.. {भाग ६}
स्तम्भ : मेरी माँ पवनरेखा जब अपने पितृगृह पहुँची तब वह अपने पति से विरह और हृदय की वेदना से…
Read More » -
वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग_७}
स्तम्भ : काम का ज्वर उतरते ही पवनरेखा की देह पर आरूढ़ उग्रसेन ने भी अपनी दृष्टि की कोर से…
Read More » -
रामराज्य : रामकथा आशुतोष राणा की कलम से..भाग ३
स्तम्भ: कैकेयी को सुमित्रा के शब्द सुनाई दिए वे कह रही थीं- जीजी, परमात्मा ने महाराज दशरथ और हम सबके भाग्य…
Read More » -
रामराज्य : रामकथा आशुतोष राणा की कलम से…( भाग-2)
स्तम्भ: कैकेयी ने आश्चर्य से सुमित्रा को अपने कंठ से अलग करते हुए कहा- शत्रुघन का कहीं पता नहीं है…
Read More » -
रामराज्य : रामकथा आशुतोष राणा की कलम से (भाग-1)
स्तम्भ: भरत नंदीग्राम में ही रुक गए, उन्होंने निर्णय सुना दिया था कि प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापस लौटने तक…
Read More » -
भगवान और भाईसाहब
आशुतोष राणा वे पूरे संसार के लिए आदरणीय होना चाहते थे किंतु ये बेहद मुश्किल काम था, तो भाईसाहब ने…
Read More » -
संतजी के तीन बंदर
आशुतोष राणा तीन बंदर थे, बेहद उत्पाती..उनके तीन अलग-अलग दल थे। एक दल सिर्फ बुरा बोलता था, दूसरा दल सिर्फ…
Read More »