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आखिर कैसे आतंकी से सेना में शामिल हुए नजीर वानी, और कैसे मिला अशोक चक्र

लांस नायक नजीर वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. यह पहला मौका है जब आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सेना में आए किसी जवान को इतने बड़े सम्मान से नवाजा जाएगा. नवंबर में नजीर वानी शोपियां में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे. इस एनकाउंटर के दौरान उन्हें गोली लगी थी इसके बावजूद उन्होंने आतंकियों को मार गिराया था. बताया जाता है कि नजीर वानी की बदौलत ही सेना ने आतंकियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन किए.
आखिर कैसे आतंकी से सेना में शामिल हुए नजीर वानी, और कैसे मिला अशोक चक्र
नजीर वानी के बारे में बताया जाता है कि वो कभी ‘इख्वान’ थे. ये ऐसे कश्मीरियों का गिरोह था जो पहले आतंकी थे. लेकिन बाद में भारतीय सेना के साथ मिलकर आतंकियों का खात्मा करने लगे. दरअसल, ‘इख्वान’ से जुड़े लोग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का उपेक्षित आतंकी संगठन था. जो बाद में हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठन से जुड़ा. लेकिन ‘इख्वान’ से जुड़े आतंकी हाशिये पर चले गए.

इसके बाद पाकिस्तान जाकर आतंक की ट्रेनिंग ले चुके युसूफ पारे ने इख्वान की स्थापन की. इस संगठन ने भारतीय सेना का साथ देना शुरू कर दिया. लेकिन इख्वान के बुरे दिन 1996 में आए. कश्मीर के आम लोग इख्वान को नापसंद करते थे दूसरी ओर इस्लामी संगठनों के निशाने पर भी थे.

उनके साथ धोखा तब हुआ जब सरकार ने भी साथ नहीं दिया. संरक्षण मिलना बंद होने पर आतंकियों ने इख्वान के सदस्यों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इसके बाद उसके सदस्यों ने फिर बागी तेवर अपना लिए और आतंक के रास्ते पर चले गए.

बताया जाता है कि नजीर वानी भी इख्वान में से ही थे. लेकिन दो साल तक आतंकी की राह पर चलने के बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि बन्दूक के रास्ते किसी मंज़िल तक नहीं पहुंचा जा सकता. फिर नजीर वानी ने 2004 में आत्मसमर्पण किया. इसके कुछ वक्त बाद ही नजीर ने भारतीय सेना ज्वॉइन कर ली थी.

उन्होंने सेना में रहते हुए कई आतंकियों का सफाया करने में मदद की. इस जांबाजी के लिए उन्हें दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है. बता दें कि नजीर वानी कुलगाम के चेकी अश्‍मूजी गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार में उनकी पत्‍नी और दो बच्‍चे हैं.

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