गोटमार मेला : परंपरा निभाने में 110 घायल
दस्तक टाइम्स/एजेंसी
छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में प्यार की खातिर जान देने वाले युवक-युवती की याद में आयोजित किए जाने वाले गोटमार मेला में वर्षों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक रविवार को प्रशासन के संरक्षण में दो गांवों के लोगों के बीच पत्थरबाजी चली, जिसमें 11० लोग घायल हो गए।
छिंदवाड़ा के पांढुर्ना में परंपरा के मुताबिक, पोला (बैलों की पूजा) के दूसरे दिन चंडीमाता के मंदिर के करीब जाम नदी पर सावरगांव और पांढुर्ना के लोगों के बीच गोटमार (पत्थरबाजी) की परंपरा है। रविवार को यहां गोटमार मेला लगा, जिसमें नदी के दोनों ओर मौजूद गांव के प्रतिनिधि एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) मिथिलेश शुक्ला ने आईएएनएस को बताया कि गोटमार मेला में परंपरा के मुताबिक दो पक्षों के बीच पत्थरबाजी हुई, जिसमें 11० से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है। घायलों के उपचार के लिए आयोजन स्थल पर ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
स्थानीय लोग मान्यता का हवाला देते हुए बताते हैं कि सदियों पहले एक प्रेमी युगल ने प्यार की खातिर जान दे दी थी। उन्हीं की याद में गोटमार मेला आयोजित किया जाता है।
किंवदंती है कि सावरगांव के लड़के को पांढुर्ना की लड़की से मोहब्बत थी। वह लड़की को उठा ले गया था। इसका विरोध करते हुए पांढुर्ना के लोगों ने पथराव किया था, जिसमें प्रेमी युगल की मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों गांवों के लोगों में जमकर पत्थरबाजी हुई थी। उसी घटना की याद में हर साल गोटमार मेला आयोजित किए जाने और दो गांवों के बीच पत्थरबाजी की परंपरा है।
परंपरा के मुताबिक, जाम नदी के बीच में एक लंबा झंडा लगाया जाता है। नदी के दोनों किनारों पर गांव के लोग खडे़ होकर उस झंडे को गिराने के लिए पत्थर चलाते हैं। जिस गांव के लोग झंडे को गिरा देते हैं, उस गांव को विजेता माना जाता है।