वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से.. {भाग_३}

स्तम्भ : कृष्ण अपने हृदय की आत्मीयता को कंस पर उड़ेलते हुए बोले- मुक्त होने के लिए रिक्त होना पड़ता है मामा। कृष्ण एक ऐसा रिक्त पात्र है जिसमें संसार अपने समस्त संशय, संताप, संकल्पों को उड़ेलकर मुक्त हो जाता है। अपने मुख पर मधुर हास्य को धारण करते हुए कृष्ण बोले- और आनंद इस … Continue reading वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से.. {भाग_३}