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महात्‍मा गांधी की मूर्ति पर मलावी में विवाद, लोगों ने कहा- उन्‍होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया

महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाने का काम दो महीने पहले शुरू हुआ था। मलावी सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा एक समझौते के तहत खड़ी की जा रही है जिसके तहत भारत ब्लांटायर में एक करोड़ डॉलर की लागत से एक सम्मेलन केंद्र का निर्माण करेगा।


केप टाउन : मलावी की आर्थिक राजधानी ब्लांटायर में महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने पर विरोध शुरू हो गया है। गौरतलब हो मलावी अफ्रीकी देश के तहत आता है। प्रतिमा लगाने की योजना के विरोध में करीब 3 हजार लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं, उनका कहना है कि भारतीय स्वतंत्रता के नायक ने दक्षिणी अफ्रीकी देश के लिए कुछ नहीं किया। महात्मा गांधी के नाम पर बने एक मार्ग के साथ उनकी प्रतिमा बनाने का काम दो महीने पहले शुरू हुआ था। मलावी सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा एक समझौते के तहत खड़ी की जा रही है जिसके तहत भारत ब्लांटायर में एक करोड़ डॉलर की लागत से एक सम्मेलन केंद्र का निर्माण करेगा। ‘गांधी मस्ट फॉल’ समूह ने एक बयान में कहा, महात्मा गांधी ने आजादी के लिए मलावी के संघर्ष में कोई योगदान नहीं दिया, इसलिए हमें लगता है कि मलावी के लोगों पर यह प्रतिमा थोपी जा रही है और यह एक विदेशी ताकत का काम है जो मलावी के लोगों पर अपना दबदबा और उनके मन में अपनी बेहतर छवि बनाना चाहती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि गांधी नस्लवादी थे। वहीं विदेश मंत्रालय में प्रधान सचिव इसाक मुनलो ने इस प्रोजेक्‍ट का बचाव किया, उन्‍होंने कहा कि यह स्‍वीकारा जाना चाहिए कि महात्‍मा गांधी ने सादगी, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई, नागरिक अधिकारों को बढ़ावा दिया, इस बात को भुलाया नहीं जा सकता कि अफ्रीका के सभी स्‍वतंत्रता सेनानी, जिन्‍होंने उपनिवेशवाद और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ी वे महात्‍मा गांधी से प्रभावित थे। दूसरे शब्‍दों में कहें तो महात्‍मा गांधी अफ्रीका और भारत दोनों जगह मानवाधिकारों के प्रचारक रहे। वहीँ मलावी और भारत के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध 1964 में बने थे। भारत मलावी के बड़े मददगारों में से एक है।

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