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दिल्ली के इस अक्षरधाम मंदिर में ज़रूर जायें घुमने यहाँ 20 हजार से ज्यादा मूर्तियां स्थापित हैं

देश की राजधानी दिल्ली में बना अक्षरधाम का मंदिर संस्कृति और शिल्पकला का सुंदर नमूना है। एक आंकड़े के मुताबिक इस मंदिर में हर साल करीब दस लाख से ज्यादा पर्यटक दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में आध्यात्मिकता की झलक देखने को मिलती है। मंदिर को बनाते समय वास्तु शास्त्र की बारीकियों का ध्यान रखा है। स्वामीनारायण का ये मंदिर भारत की 10 हजार साल पुरानी संस्कृति की खूबसूरती को बयां करता है।अक्षरधाम मंदिर को गुलाबी, सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थरों के मिश्रण से बनाया गया है। इस मंदिर को बनाने में स्टील, लोहे और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया। मंदिर को बनाने में लगभग पांच साल का समय लगा था। श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख स्वामी महाराज के नेतृत्व में इस मंदिर को बनाया गया था। करीब 100 एकड़ भूमि में फैले इस मंदिर को 11 हजार से ज्यादा कारीगरों की मदद से बनाया गया।पूरे मंदिर को पांच प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है। मंदिर में उच्च संरचना में 234 नक्काशीदार खंभे, 9 अलंकृत गुंबदों, 20 शिखर होने के साथ 20,000 मूर्तियां भी शामिल हैं। मंदिर में ऋषियों और संतों की प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है। 

मंदिर में रोजाना शाम को दर्शनीय फव्वारा शो का आयोजन किया जाता है। इस शो में जन्म, मृत्यु चक्र का उल्लेख किया जाता है। फव्वारे में कई कहानियों का बयां किया जाता है। यह मंदिर सोमवार को बंद रहता है। मंदिर में प्रवेश फ्री है लेकिन अंदर जाने के अलग-अलग चार्ज हैं। अक्षरधाम मंदिर में 2870 सीढियां बनी हुई हैं। मंदिर में एक कुंड भी है, जिसमें भारत के महान गणितज्ञों की महानता को दर्शाया गया है। इस मंदिर की स्थापना 6 नवंबर 2005 में की गई थी। दुनिया का सबसे विशाल हिन्दू मंदिर मंदिर होने के कारण इसे ‘गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स’ में शामिल किया गया है।मंदिर में अंदर जाने के लिए कुछ विशेष नियम भी बने हैं। प्रवेश करने के लिए ड्रेस कोड भी बना है। आपके कपड़े कंधे और घुटने तक ढके होने चाहिए। अगर आपने ऐसे कपड़े नहीं पहने हैं तो आप यहां 100 रुपये में कपड़े किराए पर भी ले सकते हैं। इस मंदिर में एक फिल्म स्क्रीन भी लगी है, जिसमें भगवान स्वामीनारायण के जीवन पर बनी एक फिल्म दिखाई जाती है।

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