विवादित ढांचा ध्वंस के सभी आरोपियों को किया जाए बरी : इकबाल अंसारी
अयोध्या : भगवान राम की नगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि प्रांगण में भूमि पूजन के बाद भव्य मंदिर निर्माण के लिए नींव की खोदाई के कार्यक्रम के बीच में ही 30 सितंबर की तारीख भी बेहद अहम होगी। लखनऊ में सीबीआई कोर्ट 30 को अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस मामले का फैसला सुनाएगी। इस फैसले को लेकर अयोध्या में राम मंदिर तथा बाबरी मस्जिद के विवाद में मस्जिद के पैरोकार रहे इकबाल अंसारी ने कोर्ट से अपील की है कि विवादित ढांचा ध्वंस के सभी आरोपियों को बरी कर दें। बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि यह बड़ा मसला सुप्रीम कोर्ट में रहा और सुप्रीम कोर्ट से फैसला भी आ गया है। यह फैसला मंदिर के हक में आया।
विवादित ढांचा ध्वंस के केस में सभी आरोपियों के बयान हो चुके हैं और इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इस दुनिया में नहीं है। अंसारी ने कहा कि इस केस में जो अभी भी आरोपी हैं, वह सब भी बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं। अब तो हम यह चाहते हैं कि बाबरी मस्जिद के नाम पर जितने भी मुकदमे हैं उन को समाप्त कर देना चाहिए। इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या का मसला हिंदू व मुसलमान के बीच का एक बड़ा विवाद बन गया था और यह राजनीति में आ गया था। इस मसले पर अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ गया है तो सरकार को चाहिए कि इस मसले को पूर्ण रूप से खत्म कर दे। हम यह चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमान मंदिर और मस्जिद के नाम पर कोई भी ऐसा काम न करें जो देश की तरक्की में बाधा बने।
अंसारी ने कहा कि धर्म के नाम पर यदि कोई भी विवाद रहता है तो इससे देश कमजोर होता है। मैं यह चाहता हूं कि हमारे देश में बाबरी मस्जिद और राम जन्म भूमि के मामले पर जो भी मुकदमे हैं वह जल्दी से जल्दी समाप्त किए जाएं। इकबाल अंसारी को पांच अगस्त को राम मंदिर के भूमि तथा नींव पूजन के अवसर पर विशिष्ट लोगों से साथ आमंत्रित किया गया था। उस अवसर को उन्होंने बेहद गौरवशाली क्षण भी बताया था।
अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह, भाजपा नेता विनय कटियार, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की सीएम रहीं उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा समेत 32 लोग आरोपी बनाए गए थे। इस मामले में एक सितम्बर से सीबीआई की विशेष अदालत में बचाव व अभियोजन पक्ष की ओर से मौखिक बहस पूरी कर ली थी। जिसके बाद सीबीआई के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला लिखवाना शुरू कर दिया है।
इस मामले में छह दिसंबर 1992 को कुल 50 एफआइआर दर्ज हुई थी। तीन जांच एजेंसियों ने मिलकर इसकी विवेचना की। कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस प्रकरण में 30 सितंबर तक फैसला देना है। इस समय विशेष अदालत में 32 आरोपितों पर केस चल रहा है। 17 आरोपितों का निधन हो चुका है।