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पुण्यतिथि पर विशेष: देश के भाल के तिलक है बाल गंगाधर तिलक

प्रशांत कुमार पुरुषोत्तम

पटना: भारत भूमि पुण्य आत्माओं की भूमि रही है। कहा जाता है कि इस भूमि पर जन्म लेने वाले सपूतों ने अपने महान् सर्वकल्याणकारी कार्यों से पवित्र किया है। इस पवित्र भूमि पर जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं। आज से 144 वर्ष पूर्व इस पवित्र धरा को गौरवान्वित करने को वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गाँव में 23 जुलाई 1856 को केशव गंगाधर तिलक का जन्म हुआ। यही बालक आगे चल कर बाल गंगाधर तिलक के नाम से सुप्रसिद्ध हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आधुनिक शिक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त किया। बाल गंगाधर तिलक का मानना था कि शिक्षा का अंग्रेजी माध्यम भारतीयों के लिए लाभदायक नही है। उनका मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा भारतीय सभ्यता-संस्कृति के प्रति अनादर सिखाती है। वे अग्रेजी शिक्षा के आलोचकों में अग्रिम थे। उनका विचार था कि भारतीय शिक्षा में सुधार होना चाहिए। उन्होंने अपने विचारों को मूर्त्त रूप देने के लिए दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की।

1884 में दक्कन शिक्षा सोसयटी स्थापित करने के चार वर्ष पूर्व 1880 में न्यू इंगलिश स्कूल की स्थापना की। इस स्कूल की स्थापना में सहयोग करने वाले दो सहयोगी थे, जिनका नाम था- विष्णु शास्त्री चिपलुणकर और गोपाल गणेश अगरकर।

तिलक ने आगे चलकर “मराठा दर्पण” और “केसरी” नाम से दो समाचार पत्र का प्रकशन किया। ब्रिटिश शासन के अत्याचार और भारत के सभ्यता – संस्कृति के प्रति अंग्रेजों की हीन भावना की खुल कर आलोचना की। कई लेख लिखें। लेखों की आक्रामकता बड़ी हीं तीव्र थी, जिसके कारण उन्हें अनेक बार जेल जाना पड़ा।

बाल गंगाधर तिलक का जुड़ाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से भी रहा। लेकिन वे कभी भी इसके अध्यक्ष नहीं रहे। 1907 में कांग्रेस में विभाजन हुआ। विभाजन का कारण नरमपंथ और गरमपंथ में विचारों का मतभेद होना माना जाता है। तिलक नरम पंथियों के विरुद्ध मुखर थे। गरम पंथ के नेताओं में उन्हें अग्रिम माना जाता है। गरमपंथी पार्टी में तीन प्रमुख नेताओं को गिना जाता है। ये नेता थे- लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल और बाल गंगाधर तिलक। इन तीन नेताओं को लाल – बाल – पाल के नाम से जाना गया। क्रांतिकारियों का समर्थन करने के कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ा।

बाल गंगाधर तिलक जनजागृति के वाहक थे। उनके उठाये गये कदम सामान्य भारतीयों को स्वतंत्रता आंदोलन का भाग बनने के लिए उत्साहित और प्रेरित करती थी। उन्होंने महाराष्ट्र में दो कार्यक्रम उत्सव के रूप में मनाना प्रारंभ किया। एक था गणेश उत्सव और दूसरा था छत्रपति महाराज उत्सव। ये उत्सव सप्ताह भर का होता था जिसमें स्वतंत्रता सें संबंधित कार्यक्रमों से जागरुकता लाने का प्रयास किया जाता था।

बाल गंगाधर तिलक न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वे समाज सुधारक, कुशल शिक्षक, भारतीय राष्ट्रवादी और वकील भी थे। ब्रिटिश प्राधिकार उन्हें भारतीय अशांति का जनक कहता था। लेकिन भारतीयों के लिए महानायक थे।वे भारतीय क्रांति के जनक थे।

1 अगस्त 1920 को भारत माता का सच्चा सपूत देश को जागरित करते हुए सदा के लिए अपनी आँखे बंद कर ली। तिलक के निधन पर महात्मा गाँधी ने कहा था कि वे आधुनिक भारत के निर्माता थे।

देश के महानायक की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् – शत् नमन!

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