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योगी के रूप में भाजपा को मिला नया ‘युवा-हिन्दू हृदय सम्राट’

सुरेश बहादुर सिंह

लखनऊ, 06 अगस्त, दस्तक टाइम्स : लगभग तीन दशक के बाद भाजपा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रूप में नया युवा हिन्दू हृदय सम्राट मिल गया है। प्रधानमंत्री की ‘रामकाज कीन्हें बिना, मोहि कहा विश्राम  की अवधारणा को नये युवा हृदय सम्राट ही अमली जामा पहनाएंगे।

ऐसा नहीं है कि रातोरात ही योगी आदित्यनाथ हिन्दू समुदाय में अपनी यह जगह बनाने में सफल हुए हैं। गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर के रूप में भी उन्होंने हिन्दू समुदाय के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया है, हालांकि उनका यह प्रयास उस समय पूर्वांचल व उसके आसपास के जिलों तक सीमित था, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्रदेश व देश में हिन्दू समुदाय को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका लाभ भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला था।

हिन्दुत्व के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं

मुख्यमंत्री बनने के बाद यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि राजधर्म का निर्वहन करते उनके हिन्दुत्व की धार में कुछ कमी दिखाई देगी, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने विधानसभा में यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि ‘वह ईद नहीं मनाते’, लेकिन ईद मनाने वालों को पूरी सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि वह हिन्दुत्व के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेंगे, लेकिन वह अपना राजधर्म भी निभाने में पीछे नहीं हटेंगे।

हिन्दुत्व के एजेंडे को प्राथमिकता

श्री योगी ने आशानुसार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को प्राथमिकता दी। उन्होंने हिन्दू धार्मिक स्थलों को न सिर्फ पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये बल्कि विश्व पटल पर उनकी उपस्थिति दर्ज करायी। अयोध्या, जो बाबरी विध्वंस के बाद पूरे विश्व में चर्चित हो गई थी, उसे उन्होंने विश्वपटल पर धर्मनगरी के रूप में स्थापित किया। इसी तरह उन्होंने प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों को भी विकसित किया।

मन्दिर निर्माण में की बाधाओं को दूर किया

अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित करके उन्होंने देश-विदेश को संदेश दिया कि अयोध्या राम की नगरी है और वहां वह राम के भव्य मन्दिर का निर्माण कराने का करोड़ों भारतीयों का सपना पूरा करेंगे। उन्होंने धीरे-धीरे राम मन्दिर निर्माण में आने वाले बाधाओं को भी दूर किया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने उनके इस कार्य को और आसान कर दिया। यही कारण था कि सावन के पांचवें सोमवार के दिन राम मन्दिर का नींव पूजन उनके हाथों से देखकर देश के करोड़ों हिन्दुओं ने गौरान्वित महसूस किया। राम मन्दिर नींव पूजन के बाद श्री योगी हिन्दू समाज के दिलो-दिमाग में बस गये।

हिंदुत्व के नए ध्वजवाहक बन कर उभरे

ज्ञात हो कि नब्बे के दशक में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता हिन्दुत्व हितों की रक्षा करने को तैयार थे। वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, डा. प्रवीण तोगड़िया, कल्यान सिंह, उमा भारती, स्व. अशोक सिंघल, स्व. श्रीशचन्द दीक्षित व विनय कटियार हिन्दू हितों की लड़ाई लड़ते थे। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि नब्बे के दशक में राम जन्म भूमि आंदोलन को धार देने में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बजरंग दल के संस्थापक विनय कटियार ने भी हिन्दू समाज को एकजुट करने में प्रमुख योगदान दिया था। अयोध्या में ढांचा गिराने में भी इन नेताओं का बड़ा योगदान था, लेकिन धीरे-धीरे इन नेताओं की लोकप्रियता में कमी आती गई और राजनीति में हांसिए पर चले गये।

चेहरा जो हिन्दुओं को एकजुट करने में सक्षम

अयोध्या में ढांचा ढहने के बाद से ही भाजपा में एक ऐसे हिन्दू नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो प्रदेश व देश में हिन्दू मतों को भाजपा के पक्ष में एकजुट कर सके। भाजपा की नजर में योगी आदित्यनाथ ही एक ऐसा चेहरा थे जो हिन्दुओं को एकजुट करने में सक्षम माने जा रहे थे। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उन पर ही यह जिम्मेदारी सौंपी जिन पर वह खरे साबित हुए। 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने कड़ी मेहनत करते हुए बहुसंख्यक समाज को भाजपा के पक्ष में न सिर्फ संगठित किया बल्कि भाजपा को 300 से अधिक विधानसभा सीटों पर विजय भी दिलायी।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर उन पर विश्वास जताते हुए पूरे देश में भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी। उस जिम्मेदारी को उन्होंने बखुबी निभाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को देखते हुए लगता है कि भाजपा की तलाश अब पूरी हो गई है और योगी आदित्यनाथ के रूप में उन्हें नया युवा हिन्दू सम्राट मिल गया है।

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