Lucknow News लखनऊTOP NEWS

उत्तर भारत के मैदानों में उत्पादित स्ट्रॉबेरी की फसल पर कीटों का हमला न्यूनतम

लखनऊ:हालांकि अमेरिका में स्ट्रॉबेरी को कीटनाशक भरपूर माना जाता है और 2018 की डर्टी डोजेन फ्रूट की सूची में वह  सबसे ऊपर है. वही उत्तर भारत के मैदानों में उत्पादित स्ट्रॉबेरी ऐसी परिस्थितियों  का सामना नहीं करती है . सर्दियों के दौरान पैदा होने से कीटों का हमला न्यूनतम होता है और बीमारी भी कम लगती है. यह जलवायु रसायनों के उपयोग के बिना स्ट्रॉबेरी उत्पादन में किसान की मदद करती है. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ के द्वारा इसकी खेती को बढ़ावा दिया जाता है. वैसे कभी-कभी पौधा लगते समय कवकनाशी का उपयोग किया जा सकता है इससे पहले कि फसल तुड़ाई  के लिए तैयार हो, रसायन विघटित हो जाता है.

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ दे रहा खेती को बढ़ावा देने का प्रयास

इससे पता चलता है कि स्ट्रॉबेरी का जैविक उत्पादन इस दशा में आसान है. संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने स्ट्राबेरी उगाने में किसानों की  तकनीकी मदद की क्योंकि उन्हें इस फसल पर सिक्किम की दशाओं में शोध का अनुभव था. उन्होंने  कई तकनीक को लखनऊ की स्थिति के अनुसार संशोधित किया. इसमें यहां की दशाओं के लिए उपयुक्त किसानों की पहचान और पौध सामग्री का उत्पादन की तकनीकी प्रमुख हैं और रोपण सामग्री को खरीदने में किसानों को लाखों रुपए व्यय करना पड़ता है. फिर भी कम लागत में स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए किसानों के सहयोग से संस्थान अनुसंधान कर रहा है. स्ट्रॉबेरी उत्पादकों के साथ कई उद्यमी भी इससे लाभान्वित होंगे क्योंकि स्थानीय स्तर पर रोपण सामग्री के उत्पादन से खेती की लागत में भी कमी होगी. वैसे इसकी प्रमुख फसल की तुड़ाई जनवरी से मार्च के बीच होती है और सीजन के अंत में किसानों को केवल  सौ रुपये प्रति किलोग्राम मिलते हैं. फसल का उत्पादन नवंबर से जनवरी में शुरू होने से फल 400 रुपये  प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकते हैं. CISH जल्दी फसल प्राप्त करने के लिए तकनीक विकसित कर रहा है ताकि किसान अधिक समय तक फल के उत्पादन से जल्दी फसल का भी लाभ प्राप्त कर सके.

Related Articles

Back to top button