नई दिल्ली : अब आपको यात्रा के दौरान अपने पास हमेशा ड्राइविंग लाइसेंस या फिर वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं रखना होगा, अब कागज की जगह सिर्फ अपने मोबाइल से ही आप जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल कर पाएंगे। अपने निजी वाहन पर सड़क यात्रा करने वालों के लिए केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से यह अच्छी खबर आई है। हालांकि, इसके लिए आपको केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए डिजिलॉकर या फिर परिवहन मंत्रालय के एमपरिवहन प्लेटफॉर्म पर अपनी डिटेल्स डालनी होंगी। ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण सर्टिफिकेट को भौतिक रूप से साथ रखने की अनिवार्यता को खत्म करते हुए सरकार ने गुरुवार को राज्यों को सलाह जारी की है कि वे इस प्रकार के सभी दस्तावेजों को डिजिलॉकर या एमपरिवहन प्लेटफार्म के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक फार्म में प्रस्तुत किए जाने पर स्वीकार करें। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों को कहा कि आधिकारिक प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में लाइसेंस, पंजीकरण प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज ड्राइविंग परिवहन प्राधिकरणों द्वारा जारी प्रमाणपत्रों के बराबर माना जाएगा।सरकार ने इसके लिए एक वेबसाइट digilocker.gov.in बनाई है. यहां से आप डिजिलॉकर एप को डाउनलोड कर सकते हैं।
इसके बाद आप अपना डिजिलॉकर अकाउंट खोल सकते हैं। इसके लिए आपको मोबाइल नंबर डालना पड़ता है, फिर वन टाइम पासवर्ड (OTP) आपके मोबाइल नंबर पर आएगा जिसे इस्तेमाल कर मोबाइल नंबर को ऑथेंटिकेट कर सकते हैं।फिर यूजरनेम और पासवर्ड सेलेक्ट करना होगा, डिजिलॉकर अकाउंट बनने के बाद आप अपने डॉक्यूमेंट अपलोड कर सकते हैं। डिजिलॉकर की अन्य सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आप अपना आधार नंबर भी दे सकते हैं। सलाह में स्पष्ट किया गया है कि दोनों प्लेटफार्म में नागरिकों को दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की सुविधा है, इसमें कहा गया कि नए वाहनों के बीमा और पुराने वाहनों के बीमा रिन्युबल की जानकारी भी बीमा सूचना बोर्ड द्वारा दैनिक आधार पर अपलोड की जा रही है और यह मंत्रालय के एमपरिवहन और ई-चालान एप में भी दिखता है। बयान में कहा गया है कि एमपरिवहन या ई-चालान एप पर वाहन के पंजीकरण विवरण के साथ अगर बीमा का विवरण भी उपलब्ध मिलता है तो बीमा सटिर्फिकेट के भौतिक प्रति की आवश्यकता नहीं है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि किसी अपराध के मामले में ऐसे दस्तावेजों को भौतिक रूप से जब्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ‘ई-चालान’ प्रणाली के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जब्त कर सकते हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस में दिखेगा।