अडाणी को झटका : राइफल्स निर्माण के करार पर नहीं बन पाई सहमति
नई दिल्ली : फ्रांस की कंपनी से उद्योगपति अनिल अंबानी को जो विवादास्पद ठेका मिला है उससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आलोचनाओं से घिरी हुई है। शायद इसी का असर है कि वह अब देशी और विदेशी रक्षा सौदों में और संभल कर कदम उठा रही है। ताजा मामला रूस के एक प्रस्ताव से जुड़ा है। भारत सरकार ने रूस की सरकार को सुझाव दिया है कि उसकी सरकारी कंपनी कलाश्निकोव को भारत की सरकारी कंपनी ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के साथ करार करना चाहिए। दरअसल यह मामला एके-103 असॉल्ट राइफल्स के भारत में निर्माण से जुड़ा है। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के पास कलाश्निकोव कंपनी का यह प्रस्ताव आया था कि वह अडाणी समूह के साथ मिलकर एक संयुक्त उपक्रम लगाना चाहती है जिसमें 7.62×39 एमएम कैलिबर की एके-103 गन बनायी जाएगी। यह गन एके-47 राइफल का अगला वर्जन होगी। उल्लेखनीय है कि अडाणी समूह ने हाल ही में रक्षा उद्योग क्षेत्र में कदम रखा है।
भारत सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि यदि रूस एक सरकार का दूसरी सरकार से करार चाहता है तो वह निजी क्षेत्र की कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम लगाने का सुझाव नहीं दे सकता। मोदी सरकार के लिए फिलहाल राफेल सौदा ही बड़ी मुसीबत बना हुआ है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें 15-20 सबसे बड़े ‘क्रोनी कैपिटलिस्ट’ (सत्ताधारियों से साठगांठ करने वाले पूंजीपतियों) की चिंता है और वह उन्हीं के हित में कदम उठा रहे हैं। उन्होंने राफेल मामले में सीधे प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इस विमान सौदे पर मोदी ‘झूठ’ बोल रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि सरकारी कंपनी एचएएल की बजाय 12 दिन पुरानी अनिल अंबानी की कंपनी को ठेका दिया गया जो कि सीधा-सीधा अपने करीबी को लाभ पहुँचाने का मामला है।
उधर, फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट विमानों के सौदे पर बढ़ते वाक-युद्ध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने पूरी तरह अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित विमानों के लिए यह सौदा संप्रग सरकार के साथ 2007 में हुई बातचीत के मुकाबले 20 प्रतिशत सस्ते में किया है। जेटली ने कहा कि विपक्ष भरमाने की कोई भी कोशिश करे लेकिन उससे विपक्ष के नेता के झूठ की लीपा पोती नहीं हो सकती। अडाणी मामले में सरकार का फैसला भाजपा के लिए राहत भरा कदम है क्योंकि दो महीने बाद चार राज्यों में विधानसभा चुनाव और उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। भाजपा पर पहले ही अडाणी समूह को लाभ पहुँचाने के आरोप लगते हैं। ऐसे में अगर अनिल अंबानी के बाद अब अगर गौतम अडाणी को रक्षा क्षेत्र से कोई करार मिलता तो निश्चित रूप से सरकार को विपक्ष और ज्यादा घेर सकता था।