अपनी अंतिम मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को 6.5% पर बरकरार रखा
मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी. इसके साथ ही आरबीआई ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान बरकरार रखा. राबीआई ने कहा कि मार्च 2017 तक मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत के लक्ष्य से उपर जाने का जोखिम है. जीएसटी कार्यान्वयन से कारोबारियों का उत्साह बढेगा और अंतत: निवेश में वृद्धि होगी. विदेशी बांडों (एफसीएनआर-बी) के भुगतान से बाजार में कोई व्यवधान नहीं होगा. पूर्व में ही विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर में फिलहाल शायद ही कोई ढील दें. मुद्रास्फीति इस समय संतोषजनक स्तर से कुछ उपर है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा था, ‘हमें उम्मीद है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि सब्जियों की कीमत बढ रही है. सब्जियों की कीमत घटने में कुछ महीने लग सकते हैं जब तक कि खरीफ की फसल बाजार में नहीं आ जाती.’
अब तक राजन ने की ब्याज दरों में 1.5 फीसदी की कटौती
लंबे समय तक सख्त मौद्रिक नीति अपनाने के लिए आलोचना के शिकार राजन ने पिछले साल जनवरी से अब तक ब्याज दर में 1.5 प्रतिशत की कटौती की है. उसके बाद से वह वाणिज्यिक बैंकों को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे है कि वे नीतिगत दर में हुई कटौती का फायदा ग्राहकों को दें. विशेषज्ञों का मानना था है कि आज के मौद्रिक समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि नकदी पर्याप्त है. एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा था, ‘इस समीक्षा में कुछ भी नहीं बदलने वाला क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति का स्तर वहां तक नहीं पहुंचा है जितना आरबीआई चाहता था. बाजार ने पहले ही मान लिया है कि इस बार नीतिगत दर में कटौती नहीं होनी है.’ उसने कहा था, ‘प्रणाली में नकदी पर्याप्त है इसलिए सीआरआर में बदलाव नहीं होगा.’