अब शांति वार्ता करना चाहता है जीजेएम
दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने दार्जिलिंग में यथाशीघ्र शांति बहाल करने के लिए आज केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से अनुरोध किया। इस पर्वतीय क्षेत्र में अनिश्चितकालीन बंद आज 68वें दिन भी जारी रहा। यह पहला मौका है, जब अलग गोरखालैंड के लिए आंदोलन कर रहे जीजेएम ने राज्य सरकार और केंद्र के साथ वार्ता करने की अपनी इच्छा जाहिर की है। जीजेएम के संयुक्त सचिव बिनय तमांग ने कहा, ‘ ‘दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र, तराई और दुआर में शांति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सिर्फ यहां रहने वाले लोगों की नहीं है बल्कि केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार की भी है। इसलिए हम दोनों सरकारों से यथाशीघ्र वार्ता शुरू करने का अनुरोध करते हैं ताकि शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल हो सके।”
दार्जिलिंग में शनिवार को हुए दोहरे विस्फोटों के सिलसिले में जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज होने के बाद पार्टी के रुख में यह बदलाव आया है। गौरतलब है कि जीजेएम ने दो महीने लंबे आंदोलन के दौरान राज्य सरकार के साथ वार्ता करने से बार-बार इंकार किया है। तमांग ने फिर से कहा कि जीजेएम विरोध के लोकतांत्रिक तरीके में यकीन रखता है और दार्जिलिंग शहर तथा कलीमपोंग में हुए विस्फोटों की निंदा करता है। उन्होंने कहा, ‘ ‘हम पिछले शनिवार को हुए विस्फोटों की एनआईए जांच की मांग पहले ही कर चुके हैं।” वहीं, तमांग ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि जीजेएम की माओवादियों और पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के साथ सांठगांठ है। उन्होंने कहा, ‘ ‘मीडिया द्वारा फैलाई जा रही इन अफवाहों की हम निंदा करते हैं। हम एक बार फिर से दोहराते हैं कि पूर्वोत्तर या भारत में किसी स्थान के या किसी विदेशी उग्रवादी संगठन से हमारा कोई संपर्क है।”