अब सब्जियां बेचेंगे मुकेश अम्बानी, जैक मा और बेजाॅस!
नई दिल्ली : इंडियन ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में अपना हिस्सा हथियाने पर है दुनिया के धनवानों की नजर, लेकिन सरकार भारतीय कंपनियों को टॉप पोजिशन दिलाना चाहती है। मतलब स्पष्ट है, अब ग्लोबल और भारतीय कंपनियों के बीच भागीदारी का युग शुरू होने वाला है। ग्रॉसरी ऑनलाइन शॉपिंग का मुख्य आकर्षण बनने जा रही है क्योंकि आपको दूध और सब्जियां तो हर रोज चाहिए ही। लेकिन सब्जियों का भंडार तो स्मार्टफोनों की तरह वेयरहाउस में नहीं रखी जा सकतीं, इसलिए दुनिया की ई-कॉमर्स कंपनियों को स्टोर्स खोलने की जरूरत होगी। दिक्कत यह है कि कानून भारत में विदेशी सुपरमार्केट्स खोलने का सीमित अधिकार देता है। ऐसे में जेफ बेजॉस ने आदित्य बिड़ला की तरफ हाथ बढ़ाया है। खबर है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप की फूड और ग्रॉसरी सुपरमार्केट चेन मोर को 4,500-5,000 करोड़ रुपये की एंटरप्राइज वैल्यू पर खरीदने के लिए ऐमजॉन ने कदम बढ़ा दिया है। ऐमजॉन ने मोर को खरीदने के लिए गोल्डमैन सैक्स और प्राइवेट इक्विटी (पीई) फंड समारा कैपिटल से बातचीत कर रहा है।
उधर, चीन की विशालकाय कंपनी अलीबाबा के जैक मा की चाह भी यही है। वह मुकेश अंबानी से बातचीत में हैं। हाल ही में दोनों मुंबई में मिले और इसकी संभावना तलाशी गई कि क्या अलीबाबा 5 से 6 अरब डॉलर में रिलायंस रिटेल की आधी हिस्सेदारी खरीद सकता है। रिलायंस रिटेल ग्रॉसरी स्टोर, इलेक्ट्रॉनिक स्टोर, अपैरल चेन आदि संचालित करता है। अलीबाबा के पास भारतीय कंपनियों पेटीएम और बिगबास्केट में हिस्सेदारी है। दूसरे शब्दों में कहें तो एशिया को दो महाधनवान (मा और अंबानी) दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति (बेजॉस) से मुकाबले के लिए हाथ मिला सकते हैं। ठीक उसी तर्ज पर कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। अभी हर कोई किसी-न-किसी से हाथ मिला रहा है। इसलिए जेफ बेजॉस के ऐमजॉन ने किशोर बियानी के फ्यूचर रिटेल से भी बातचीत की है जिसने हाल ही में ऐलान किया है कि वह करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी एक विदेशी निवेशक के हाथों बेचेगा। वॉलमार्ट में हिस्सेदारी बेचने से पहले फ्लिपकार्ट ने भी उससे बात की थी। उधर, अलीबाबा ने भी फ्यूचर ग्रुप से बात की थी। यानी, भविष्य में फ्यूचर ग्रुप की चेन बिग बाजार से जो आलू खरीदेंगे, उसमें ऐमजॉन की भी पूंजी लगी हो। ऐसा भी नहीं है कि यह खिचड़ी सिर्फ दिग्गजों के बीच ही पक रही है। स्विगी के फाउंडर्स भी आपके रेफ्रिजरेटर तक पहुंचने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। उन्हें चीन के मीटुअन-डिनपिंग का समर्थन मिल रहा है जबकि मिटुअन-डिनपिंग के पीछे चीन की ही एक अन्य विशाल कंपनी टेंसेंट खड़ी है।