अमेरिका की साख बनाए रखने को ओबामा ने बदला रुख
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वाशिगटन (एजेंसी)। अमेरिकी शटडाउन को लेकर राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कुछ नरमी का रुख अपनाया है। हालांकि उनका कहना है कि पहले विपक्षी शटडाउन की समस्या के हल के लिए समर्पण करे फिर आगे विचार किया जाएगा। अब तक किसी समझौते से इंकार कर रहे ओबामा का अंदाज कुछ जुदा दिखा। शटडाउन
(कामबंदी) को एक हफ्ता गुजर जाने के बाद अब ओबामा इसका हल निकालने की कोशिशों में जुट गए है। शायद यह डिफॉल्टर (कर्ज चुका पाने में नाकामी) होने का ही डर है कि अब राष्ट्रपति बराक ओबामा के तेवर कुछ नरम पड़े हैं और वह विपक्षी रिपब्लिकन नेताओं से बातचीत को राजी हो गए हैं। ओबामा ने कहा है कि जब तक विवाद नहीं सुलझता तब तक वह कर्ज की सीमा बढ़ाने को तैयार हैं। ओबामा ने बुधवार को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के स्पीकर जॉन बोएनर से शटडाउन खत्म कराने के लिए फोन पर चर्चा की। राष्ट्रपति के अनुसार वह हर मुद्दे पर खासकर ओबामाकेयर पर वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ गतिरोध तोड़ने के लिए वह बातचीत नहीं करेंगे। रिपब्लिकन सांसदों को बजट पारित कर सरकार को कामकाज शुरू करने देना चाहिए। इसके बाद व्हाइट हाउस उनकी तर्कसंगत मांगों पर चर्चा के लिए तैयार है। जनता को आर्थिक मंदी का खतरा दिखाकर विपक्ष सरकार से काम नहीं करवा सकता। ओबामा ने कहा कि इस तरह से प्रजातंत्र काम नहीं करता। मेरे बाद आने वाले राष्ट्रपतियों के लिए भी यह नजीर होगी। राष्ट्रपति को पार्टी से ऊपर उठकर देश के लिए सोचना होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 17 अक्टूबर तक उधारी सीमा न बढ़ने पर सरकार के डिफॉल्टर होने के बाद के दुष्प्रभावों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया का भरोसा अमेरिका पर से डगमगा जाएगा, शेयर बाजार ध्वस्त होगा और देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में फंस जाएगी। इसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ेगा। दूसरी ओर, बोएनर ने राष्ट्रपति से बात करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ओबामा से उनकी सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई। लेकिन, इससे कोई फायदा नहीं होने वाला क्योंकि वह खुद को दोहरा रहे हैं। वे चाहते हैं कि रिपब्लिकन बिना शर्त समर्पण कर दें तब वार्ता होगी। सरकार ऐसे काम नहीं कर सकती। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स जल्द वार्ता करेंगे।
बताते चलें कि हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। उन्होंने बजट को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया है। इसके चलते सरकार का कामकाज ठप है। वह चाहते हैं कि सरकार ओबामाकेयर के नाम से चर्चित हो चुके हेल्थकेयर प्रोग्राम को रोक दे। ओबामा और डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह कानून 2010 में पास हो गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। ऐसे में वह ओबामाकेयर पर अब कदम पीछे नहीं खींचेंगे। चूंकि 2012 राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान ओबामा ने इसे अपने एजेंडे में टॉप पर रखा था तो उन्हें अब वादा भी निभाना है।