अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाकर मोल ली दुश्मनी, ‘रख दी गले पर छुरी..’
इससे पहले अमेरिका चीन के साथ आयात शुल्क के मुद्दे पर ट्रेड वॉर छेड़ रखा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि इस सौदे के तहत ताइवान के कई सैन्य विमानों के लिए अमेरिकी कलपुर्जे मुहैया कराए जाएंगे, जिनमें एफ-16 लड़ाकू विमान और सी-130 कार्गो प्लेन शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन ने ताइवान को 33 करोड़ डॉलर का सैन्य साजो-सामान बेचने को मंजूरी दे दी है। इस रक्षा डील पर आपत्ति उठाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के पास 30 दिन का समय होगा। इसे कांग्रेस की भी मंजूरी मिल जाने की पूरी संभावना है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस सौदे पर गहरी चिंता जताई है जबकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने ताइवान के साथ इस डील का बचाव किया है। पेंटागन के मुताबिक ताइवान की रक्षा क्षमताएं मजबूत करने से अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में मदद मिलेगी। इस डील से चीन का नाराज होना स्वाभाविक है, क्योंकि ताइवान की अपनी एक स्वतंत्र सरकार होने के बावजूद चीन ‘वन चायना’ नीति के तहत उसे अपना हिस्सा मानता है। इसीलिए ताइवान के साथ किसी भी देश का सहयोग चीन को चुभता है।