अयोध्या जमीन विवाद: SC ने रामजन्म भूमि-बाबरी जमीन मामले पर शुरू की सुनवाई
अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 10वें दिन की सुनवाई आज होगी. गोपाल सिंह विशारद आज अपना पक्ष रखेंगे. बुधवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी बहस पूरी कर ली थी. उन्होंने कहा था कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो, लोगों की आस्था होना काफी है, यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है. वैद्यनाथन ने कहा था कि जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता और उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता. ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा.
रामलला के वकील ने कहा था कि मंदिर में विराजमान रामलला कानूनी तौर पर नाबालिग का दर्जा रखते हैं.नाबालिग की संपत्ति किसी को देने या बंटवारा करने का फैसला नहीं हो सकता. हज़ारों साल से लोग जन्मस्थान की पूजा कर रहे हैं. इस आस्था को सुप्रीम कोर्ट को मान्यता देना चाहिए. उन्होंने कहा था कि 1949 में विवादित इमारत में रामलला की मूर्ति पाए जाने के बाद 12 साल तक दूसरा पक्ष निष्क्रिय बैठा रहा. उन्हें कानूनन दावा करने का हक नहीं है. कोर्ट जन्मस्थान को लेकर हज़ारों साल से लगातार चली आ रही हिंदू आस्था को महत्व दे. इसके साथ ही रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी बहस पूरी कर ली थी.
इस तरह निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान की बहस के बाद रामजन्म भूमि पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने बहस शुरू की थी.उन्होंने कहा था कि सबसे पहले धार्मिक मान्यताओं के आधार पर साबित करूंगा कि अयोध्या में जन्मभूमि पर हमेशा से मंदिर रहा है. चीफ जस्टिस ने हिंदू पक्षकार के वकील से कहा था कि आस्था को लेकर कभी कोई सवाल नहीं रहा है. सवाल राम के जन्मस्थान को लेकर है. हमें सबूत दिखाइए.पीएन मिश्रा ने एक नदी के संबंध में स्थान को बताने के लिए दस्तावेज़ पढ़ना शुरू किया. राजीव धवन ने बीच में रोकते हुए कहा था कि स्कंद पुराण पर निर्भरता नहीं रखी जा सकती, क्योंकि इसकी शुरुआत आठवीं सदी से होती है, नदियां अपना किनारा बदलती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या मंदिर बाबर के निर्देश पर तोड़ी गई थी? क्या हुआ था इस पर प्रकाश डालिए? क्या रूट था इसे लिखकर स्पष्ट करिए और उस पर दलील दीजिए. हिन्दू महासभा के वकील ने अयोध्या मामले में दलील शुरू की थी.