अयोध्या विवाद के सीधे प्रसारण पर प्रशासकीय स्तर पर होगा विचार
नई दिल्ली : अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई के सीधे प्रसारण की मांग संबंधी याचिका को सूचीबद्ध करने से सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इन्कार कर दिया, लेकिन इस मामले पर प्रशासकीय स्तर पर विचार किये जाने का आश्वासन दिया। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक के. एन. गोविंदाचार्य ने अयोध्या मामले की सुनवाई के सीधे प्रसारण की मांग की है। श्री गोविंदाचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की गैर-मौजूदगी के कारण दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि सुनवाई के सीधे प्रसारण के लिए आवश्यक उपकरण और व्यवस्था न्यायालय के पास नहीं है। इस पर श्री सिंह ने कहा कि जब तक सीधे प्रसारण की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक कम से कम सुनवाई की रिकॉर्डिंग करायी जाये। सीधे प्रसारण पर बाद में विचार किया जा सकता है, लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे ने मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने हालांकि श्री सिंह को आश्वस्त किया कि इस मामले पर प्रशासकीय स्तर पर विचार किया जायेगा।
श्री गोविंदाचार्य ने अपनी याचिका में कहा है कि यह विषय लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत लोगों को जानने का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में लोगों को यह जानने का अधिकार है कि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई में क्या हो रहा है? उन्होंने कहा है कि अयोध्या विवाद करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ मामला है और यह संभव नहीं कि सभी लोग न्यायालय में मौजूद होकर मामले की सुनवाई देख सकें। इसके सीधे प्रसारण के जरिये सभी लोगों को तत्काल सूचनाएं मिलेंगी। गौरतलब है कि इस विवाद में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की गयी थी, लेकिन उसके असफल रहने के बाद छह अगस्त से इसकी नियमित सुनवाई होनी है।