सपा में अलग-थलग चल रहे वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने भी नई राजनीतिक पारी खेलने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। शिवपाल ने मुलायम से साफ शब्दों में कहा है कि या तो वह सपा की कमान फिर से संभालने के लिए मुहिम शुरू करें या फिर उन्हें भविष्य का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र करें। शिवपाल ने इसके बाद जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव से भी मुलाकात की। शिवपाल के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह जल्द ही एनडीए से जुड़ने का निर्णय लेंगे। इसके लिए या तो वह जदयू में शामिल होंगे या नई पार्टी बना कर एनडीए में शामिल होंगे। हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद लगातार भाजपा नेतृत्व के संपर्क में रहे शिवपाल को कई तरह के प्रस्ताव मिले थे। इसमें मुलायम का भी ‘ख्याल’ रखने का प्रस्ताव था। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने भाजपा के प्रस्तावों पर भी मुलायम से बात की थी। शरद यादव से रविवार को हुई मुलाकात के दौरान भी शिवपाल ने जदयू में शामिल होने की संभावना तलाशी।
सपा के वोट बैंक में सेंध लगाना है भाजपा का मकसद
दरअसल भाजपा मिशन 2019 के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त होने के लिए सपा के यादव वोट बैंक में बड़ा सेंध लगाना चाहती है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव संपन्न होने के तत्काल बाद पार्टी की ओर से शिवपाल को संदेश भिजवाया गया।
पार्टी की रणनीति शिवपाल के साथ-साथ मुलायम को भी साधने की है। बताते हैं कि बिहार में घटे सियासी घटनाक्रम के बाद पार्टी की ओर से शिवपाल को फिर से पूर्व में दिए गए प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लेने के लिए कहा गया।
बताते हैं कि शिवपाल भाजपा के प्रस्तावों पर पहले से ही राजी हैं। हालांकि मुलायम अनिर्णय की स्थिति में हैं। यही कारण है कि शिवपाल ने मुलायम से मिल कर अपनी भविष्य की रणनीति पर चर्चा की है।
न किसी से बात हुई न ऑफर मिला
शिवपाल ने एक टीवी चैनल से कहा, जद (यू) या किसी अन्य दल में जानें की खबरें प्रायोजित हैं। मेरी किसी से बात नहीं हुई है, ना मुझे कोई ऑफर मिला है। नेताजी से बात हुई है। समाजवादी, सेक्युलर सोच से सभी सीनियर लीडर्स एक होकर आगे की लड़ाई लड़ेंगे। हम परिवार को एक करना चाहते हैं। अगर हम सभी मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ते तो प्रदेश में सपा की सरकार होती और अखिलेश यादव सीएम होते। दिल्ली में बैठे कुछ नेताओं ने हमें भड़काकर अलग कर दिया।
आगे नहीं है कोई विकल्प
शिवपाल सपा में लगभग एक साल से अलग-थलग पड़े हुए हैं। सितंबर 2016 में अखिलेश यादव की जगह उन्हें सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद अखिलेश ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था।
अखिलेश और शिवपाल समर्थक आमने-सामने आ गए थे। एक जनवरी 2017 को विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष व मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। तभी से शिवपाल मुलायम को पार्टी की कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं।
सपा में उन्हें न तो बैठकों में बुलाया जाता है और न ही किसी निर्णय में सलाह मशविरा लिया जाता है। उनका अखिलेश यादव के साथ संवाद भी लगभग बंद है। ऐसे में शिवपाल के सामने राजनीतिक रास्ता चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।