अध्यात्म : वासंतीय नवरात्र के सातवें दिन आज मां के भक्तों ने देवी के सातवें स्वरुप मां कालरात्रि की आराधना की। शास्त्रों में वर्णित मान्यता के अनुसार देवी का सातवां स्वरुप अत्यंत भयानक है। अंधकार की तरह मां का काला शरीर भक्तों के लिए शुभ फल देने वाला है। सतबहनिया मंदिर के पुजारी विजय कुमार झा ने बताया कि मां का यह स्वरुप भक्तों के लिए विधि विधान से पूजन करने पर दुष्टों के नाश करने का है। मां का उक्त स्वरुप के तहत उनके बिखरे हुए बाल गले में चमकती मुंडमाल हाथों में खडग़ लिये भक्तों की प्राण रक्षा करने का है जो भक्त मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा करते है। उनके समस्त दुखों का मां न केवल नाश करती है वरन उनके शत्रुओं का भी संहार करती है। इस बार अष्टमी-नवमीं की तिथि एक साथ पडऩे के कारण अधिकांश मंदिरों में सुबह 10:30 से दोपहर 1 बजे के मध्य हवन-पूजन का आयोजन किया गया है। दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी पं. आशुतोष झा के अनुसार अष्टमी तिथि 11 बजे से लेकर 11:41 तक है। जिसके चलते नवमीं तिथि पर ही अधिकांश मंदिरों में दोपहर 12 बजे से 1 बजे के मध्य हवन पूजन का आयोजन किया गया है। शहर में इस अवसर पर मंदिरों सहित अनेक निजी संस्थाओं ने माता के भंडारे का आयोजन भी किया है। महामाया मंदिर पुरानी बस्ती, दंतेश्वरी मंदिर, शीतला मंदिर, पुरानी बस्ती/ आमापारा, काली मंदिर आकाशवाणी/ रायपुरा एवं अन्य मंदिरों में रात्रि जंवारा विर्सजन गुप्त रुप से किया जायेगा। घरों में बोये जंवारे का विर्सजन विशाल जंवारा यात्रा निकालकर किया जायेगा।