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आखिर कौन मिलना चाहता था नाथूराम गोडसे गोडसे से?


नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेडियो के कर्मचारी केडी मदान को याद है जब नाथूराम गोडसे ने बापू पर गोलियां बरसाई थीं। गांधी जी जब प्रार्थना सभा स्थल पहुंचे, तब वक्त था 5 बजकर 16 मिनट। हालांकि यह कहा जाता है कि 5:17 बजे उन पर गोली चली। मदान कहते हैं कि जब पहली गोली चली तो उन्हें लगा कि कोई पटाखा चला है। तब ही दूसरी गोली चली। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाते, तीसरी गोली भी चली। वह बताते हैं कि उन्होंने नाथूराम गोडसे को गोली चलाते हुए अपनी आंखों से देखा था। मदान नफरत करते हैं गोडसे से। वह उसके बारे में बात करने से बचते हैं। खून से लथपथ बापू को बिड़ला हाउस के भीतर लोग लेकर जाते हैं। बापू को गोली लगने के दस मिनट के भीतर डॉ. डी.पी. भार्गव भी वहां आ जाते हैं। वह बापू को मृत घोषित कर देते हैं। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा में आए लोगों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। उसे तुलगक रोड के इंस्पेक्टर दसौंधा सिंह और संसद मार्ग थाने के डीएसपी जसवंत सिंह वगैरह तुगलक रोड थाने में ले गए थे। यह बात होगी शाम साढ़े छह बजे के आसपास की। तब वहां पर गांधीजी की हत्या का एफआईआर लिखा जा रहा था। थाने के एएसआई डालू राम कनॉट प्लेस में एम-56 में रहने वाले नंदलाल मेहता से पूछकर एफआईआर लिख रहे थे।

यह प्रक्रिया जब पूरी हो रही थी, तब बापू के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी तुगलक रोड थाने में आते हैं। वह वहां मौजूद पुलिस अफसरों से आग्रह करते हैं कि उन्हें गोडसे से मिलवा दिया जाए। पर उन्हें यह इजाजत नहीं मिली थी। देवदास गांधी तब हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक थे।

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