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आखिर क्या है ‘बीटिंग द रिट्रीट’,? जिसके बिना अधूरा है रिपब्लिक डे सेलिब्रेशन

Republic Day 2019: 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हो गया है. अगर आप सोच रहे हैं कि परेड के आयोजन के साथ ही गणतंत्र दिवस का जश्न समाप्त हो गया है तो ऐसा नहीं है.

आखिर क्या है 'बीटिंग द रिट्रीट',? जिसके बिना अधूरा है रिपब्लिक डे सेलिब्रेशनदरअसल गणतंत्र दिवस पर सिर्फ परेड का ही आयोजन नहीं होता है, बल्कि 26 जनवरी वाले पूरे सप्ताह में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें बीटिंग द रिट्रीट भी एक है. यह गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन करता है. बता दें कि हर साल 29 जनवरी की शाम यानी गणतंत्र के तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट आयोजन होता है.

यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है. इसमें तीन सेनाओं के बैंड देश के राष्ट्रपति के सामने बैंड बजाते हैं. इस दौरान ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं. इसके अलावा ड्रमर्स की ओर से एबाइडिड विद मी (यह महात्‍मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों की ओर से चाइम्‍स बजाई जाती हैं, जो काफी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्‍य बनता है.

इस दौरान राष्ट्रपति वहां मौजूद होते हैं और यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन और संसद के पास विजय चौक पर आयोजित किया जाता है. बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं. इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन “सारे जहां से अच्‍छा” बजाते हैं.

इस दौरान शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार लिया जाता हैं. इसके साथ ही राष्‍ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है.

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