मुम्बई : मकोका कोर्ट ने पत्रकार जे डे मर्डर केस में कोर्ट ने छोटा राजन को दोषी करार दिया है। 11 में से दो आरोपियों को बरी किया गया है, जबकि 9 को दोषी माना गया है। जिगना वोरा और पॉलसन को बरी कर दिया है। मुंबई के पत्रकार ज्योतिर्मय डे (जे डे) मुंबई में एक अंग्रेजी अखबार के लिए इंवेस्टिगेटिव और क्राइम रिपोर्टिंग करते थे, 11 जून, 2011 की दोपहर वह बाइक से कहीं जा रहे थे, तभी अंडरवर्ल्ड के शूटरों ने उनकी हत्या कर दी थी, उन्हें पांच बार सीने पर गोलियां मारी गईं। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करार दिया। मुंबई पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू की और दो शूटरों को गिरफ्तार कर लिया। छोटा राजन को लगता था कि जेडे उसके खिलाफ लिखते थे, जबकि मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का महिमामंडन करते थे। राजन को यह भी शक था कि उसे मरवाने के लिए जेडे डी कंपनी की मदद कर रहे हैं, क्योंकि जेडे को लंदन और फिलीपिंस में मिलने के लिए बुलाया गया था, सिर्फ इसी वजह से छोटा राजन ने जेडे की हत्या करवाई थी। जे डे हत्याकांड मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन मुख्य आरोपी था, उसके अलावा जिग्ना वोरा नाम की एक महिला पत्रकार समेत 10 अन्य लोग भी इसमें आरोपी हैं। पत्रकार जिग्ना वोरा के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने ही जे डे के खिलाफ कथित रूप से छोटा राजन के कान भरे थे। उसी ने छोटा राजन को जेडे की हत्या करने के लिए उकसाया था। जानकारी के मुताबिक, जेडे मुंबई अंडरवर्ल्ड पर किताबें भी लिख रहे थे। ‘जीरो डायल’ उनकी ही किताब है। छोटा राजन पर भी जेडे एक किताब लिख रहे थे, छोटा राजन पर रिसर्च के लिए वे कई लोगों से मिले, जिनमे छोटा राजन के दुश्मन डी कंपनी के लोग भी शामिल थे। जे डे हत्याकांड मामले में दोषी करार दिए जाने से पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फर्जी पासपोर्ट मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन सहित पासपोर्ट ऑफिस के तीन अधिकारियों को सात साल की सजा सुनाई थी, साथ ही चारों दोषियों पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। 70 से अधिक मुकदमों में आरोपी छोटा राजन के खिलाफ भारत लाए जाने के बाद यह पहला मामला था, जिस पर कोर्ट ने उसे सजा सुनाई थी। वहीँ छोटा राजन जब ऑस्ट्रेलिया से इंडोनेशिया पहुंचा, तब इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के बाद उसे बाली में गिरफ्तार गिया था, जिसके बाद नवंबर 2015 में उसे भारत को सौंप दिया गया था।