आजम खान ने किया तीन तलाक बिल का विरोध, कहा- इस्लाम से ज्यादा हक महिलाओं को किसने दिया
सपा के नवनिर्वाचित सांसद आजम खान ने नए तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए कहा कि इस्लाम से ज्यादा हक महिलाओं को किसने दिया. इस्लाम में तो 1500 साल पहले ही महिलाओं को बराबरी का हक दे दिया गया. मुसलमानों में तो औरतों को नहीं मारा जाता और न ही जलाया जाता है. मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश करेगी. लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ लोकसभा में पेश किया जाएगा.
पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था. दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है. सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था. मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.
‘तीन तलाक’ और ‘निकाह हलाला’ का उन्मूलन जरूरी: राष्ट्रपति कोविंद
इससे पहले देश की प्रगति में महिलाओं की समान भागीदारी और महिला सशक्तीकरण को केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि उद्योग और कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने ‘तीन तलाक’ और ‘निकाह-हलाला’ जैसी कुप्रथाओं के उन्मूलन को भी जरूरी बताया.
संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कोविंद ने कहा, ‘‘महिला सशक्तीकरण, मेरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. नारी का सबल होना तथा समाज और अर्थ-व्यवस्था में उनकी प्रभावी भागीदारी, एक विकसित समाज की कसौटी होती है. सरकार की यह सोच है कि न केवल महिलाओं का विकास हो, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास हो.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में हर बहन-बेटी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ‘तीन तलाक’ और ‘निकाह-हलाला’ जैसी कुप्रथाओं का उन्मूलन जरूरी है. मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि हमारी बहनों और बेटियों के जीवन को और सम्मानजनक एवं बेहतर बनाने वाले इन प्रयासों में अपना सहयोग दें.’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि में, महिलाओं को समान रूप से भागीदार बनाने के लिए मेरी सरकार प्रतिबद्ध है. उद्योग और कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर दिलाने के प्रयास किए जाएंगे. साथ ही, सरकारी खरीद में ऐसे उद्यमों को वरीयता दी जाएगी जहां कार्य-बल में महिलाओं की भागीदारी निर्धारित स्तर से अधिक हो.’