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आतंक के खिलाफ पूरी दुनिया हुई एकजुट, अमेरिका में भी हुआ पुलवामा हमले का विरोध

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते हफ्ते हुए आतंकी हमले का विरोध न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्से में हो रहा है बल्कि सुदूर अमेरिका में बसा भारतीय समुदाय भी इस आतंकी वारदात से आहत है. पुलवामा में CRPF के काफिले को निशाना बनाकर 14 फरवरी को हुए इस आंतकी हमले में 40 जवानों की शहादत हुई थी. पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-एम-मोहम्मद ने इस कायराना हरकत की जिम्मेदारी ली थी.
अमेरिका के न्यू जर्सी से लेकर न्यूयॉर्क और शिकागो में इस हमले के खिलाफ भारतीय मूल के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. यहां पाकिस्तानी दूतावास के बाहर भारतीय मूल के लोग जमा हुए और उन्होंने इस कायराना हरकत के लिए आतंक के पनाहगार मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की.
इसके अलावा अमेरिका के कई शहरों में पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताने के लिए शोक सभाओं का आयोजन भी किया गया. पुलवामा आतंकी हमले की निंदा अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े मुल्कों ने की है.
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के हाथों में पाकिस्तान विरोध पोस्टर थे, जिनमें पाकिस्तान को आंतक का निर्तायक देश बताया गया था. इसके अलावा कुछ प्रदर्शकारी ने भारत के झंडे के साथ अपना रोष व्यक्त किया. भारतीय समुदाय के लोगों में पुलवामा हमले को लेकर काफी गुस्सा है. उन्होंने इस प्रदर्शन के लिए इस कायराना हमले की कड़ी निंदा की.
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों के हाथों में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ संदेश लिखे पोस्टर भी थे. आतंकी वारदात को पाकिस्तान में बैठे आकाओं के इशारों पर अंजाम दिया गया था.
प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से अपील की कि वह जैश और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाये.
शिकागो के बाहरी इलाके में बने 9/11 स्मारक पर सैकड़ों लोग जमा हुये और सभी देशों से अपील करते हुये ऐसे घृणित अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका और भारत के साथ खड़े होने की अपील की.
अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, सिलिकॉन वैली, लॉस एंजिलिस, डेट्रोइट, ह्यूस्टन और फीनिक्स में भी पुलवामा हमले के विरोध में प्रदर्शन हुए.
इस मौके पर पढ़े गए एक संयुक्त प्रस्ताव में पाकिस्तान से कहा गया कि वह उसकी जमीन से संचालित हो रहे सभी आतंकवादी समूहों को सहयोग तुरंत खत्म करे. साथ ही आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे.

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