
हर क्रिकेटर का सपना होता है देश के लिए विश्व कप खेलना और यही सपना टीम इंडिया के चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव का है। विश्व कप 2019 में उनका खेलना तय माना जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो वह उनका पहला वन-डे विश्व कप होगा। मगर अभी भी वह इसे एक सपने के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह विश्व कप टीम का हिस्सा होंगे।
दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कुलदीप ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं अभी अपने सपने को जी रहा हूं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं विश्व कप स्क्वाड का हिस्सा बनूंगा। अगर भारत विश्व कप जीतता है तो ये मेरे करियर का सबसे बड़ा पल होगा। मुझे पता नहीं कि मैं इसका जश्न कैसे मनाउंगा। पूरा देश चाहता है कि हम जीतें और अगर मैं अपने देश के लिए ये कर पाता हूं तो फिर मुझे एहसास होगा कि मैंने देश के लिए बड़ा योगदान दिया है। ये मेरा सपना है।’

बातचीत के दौरान अपनी तैयारी के बारे में उन्होंने कहा, ‘विश्व कप का दबाव तो रहेगा और वो सभी खिलाड़ियों के लिए रहेगा, इससे प्रदर्शन में मदद मिलती है। वनडे में हालात मायने नहीं रखते। मैं अभी इस बारे में इतना नहीं सोच रहा हूं। अभी समय है और मैं कुछ नया करने में विश्वास नहीं करता हूं। अगर आप मिस्ट्री की बात कर रहे हैं तो वो ऐसी चीज है जिसपर मैं विश्वास नहीं करता।’
हाल ही में न्यूजीलैंड में खेली गई वन-डे सीरीज में कुलदीप ने भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। कुलदीप ने विदेशी हालातों में भी शानदार गेंदबाजी की और दो चार विकेट हॉल अपने नाम दर्ज किए। न्यूजीलैंड की पिचों पर गेंदबाजी के बारे में कुलदीप ने कहा, ‘मैंने जो भी मैच खेलें, उनमें हवा में बड़ी भूमिका अदा की। गेंद के खिलाफ गेंदबाजी करना मुश्किल होता है क्योंकि कभी कभी गेंद तेज जाती है और कभी धीमी इसलिए नियंत्रण करना मुश्किल होता है। लेकिन मैंने इसका सही इस्तेमाल करने की कोशिश की और ड्रिफ्ट को खेल में लाया और बल्लेबाज को चकमा दिया।’
‘लॉर्ड्स टेस्ट के बाद आपने क्या सीखा’ हर कोई अपनी गलतियों से सीखता है और यह मेरे लिए समान है। शायद मेरे लिए परिस्थितियां कठिन थीं और मैंने अच्छी गेंदबाजी नहीं की लेकिन इससे मुझे मजबूत वापसी करने में मदद मिली। सिडनी टेस्ट में, मैं एक मानसिकता के साथ खेला जैसे कि यह मेरा डेब्यू मैच हो। मैंने उसी दबाव को महसूस किया और अपने डेब्यू पर भी उतना ही नर्वस था। मैं बल्लेबाज को शामिल रखान चाहता था और शुरुआत में बदलाव नहीं करना चाहता था। एक ही जगह पर बार-बार गेंद को पिच करना और फिर उसके अनुसार योजना बनाना। शुक्र है कि ये सारी चीजें हो पाई।