चंपावत. उत्तराखंड के देहरादून में अब आदर्श ग्राम बनाने के लिए ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को ही ट्रेनिंग दी जाएगी. इसको लेकर शासन ने प्लान तैयार कर लिया है. पंचायत प्रतिनिधियों को ही ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न एक्सपेक्ट्स पर ग्राम्य विकास विभाग द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी.
ग्रामीण विकास के नजरिए से ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना चल रही है. जिसमें अच्छे गावों का चयन करते हुए आदर्श ग्राम घोषित किए जाते हैं. हालांकि प्रत्येक वर्ष आदर्श ग्राम की सूची में राज्य के गांव भी शामिल होते हैं लेकिन राज्य सरकार भी गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के लिए काम कर रही है.
ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव सुशील कुमार बताते हैं कि ग्राम पंचायतों को विकास की रेस में आगे लाने के लिए ये जरूरी है कि पंचायत प्रतिनिधियों को भी विकास के नजरिए से प्रेरित किया जाए. इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा शीघ्र ही प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा.
इस कार्यक्रम के जरिए ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को गांव की आवश्यकताओं, साफ पानी, सीवरेज, बिजली जैसे मुद्दों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. ताकि प्रशिक्षित पंचायत प्रतिनिधि ग्रामीण विकास की योजनाओँ को गांव की जरूरत के हिसाब से क्रियान्वयन में योगदान दे सकें.
पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण से ये माना जा रहा है कि आदर्श ग्राम के रूप में अपने गांव की पहचान बनाने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों में जज्बा पैदा होगा.
क्योंकि पंचायत प्रतिनिधियों की ग्रामीण विकास और पंचायती राज में काफी अहम भूमिका होती है. पंचायत प्रतिनिधि ही निचली स्तर तक गांव की गली मोहल्ले से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं.
आदर्श ग्रामों के चयन के लिए कुछ मानक और नियम बने हुए हैं.आदर्श ग्राम के चयन करते समय उन सभी मानकों और नियमों पर गांवों का आंकलन किया जाता है.
पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम से उम्मीद लगाई जा रही है कि प्रशिक्षित पंचायत प्रतिनिधि गांव में आम आदमी तक पेयजल और स्वच्छता जैसे आधारभूत विषयों पर भी जागरूक कर सकेगा, जोकि एक आदर्श गांव के लिए बहुत जरूरी मानक है.