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अंडमान : नॉर्थ सेंटीनल नामक हजारों साल पुरानी आदिम जनजाति के लोगों ने एक अमरीकी नागरिक को मार डाला। जॉन एलन चाऊ (27) नामक व्यक्ति ईसाई धर्म का प्रचार करने अवैध रूप से अंडमान के उत्तरी सेंटीनल द्वीप पहुंचा था। कबीले के लोगों ने उसे तीरों से मार डाला और गाड़ दिया। इस घटना के बाद इस द्वीप के कबीले के लोगों के बारे में दुनियाभर की जिज्ञासा बढ़ गई है। जानिए कौन हैं उत्तरी सेंटीनल द्वीप में रहने वाले यह लोग। दरअसल, अंडमान-निकोबार में उत्तरी सेंटीनल द्वीप में सेंटीनल जनजाति के लोग (सेंटीनली) रहते हैं। इस जनजाति और उनके इलाके को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। 2011 की जनगणना में में सेंटीनल लोगों की आबादी 40 आंकी गई थी। माना जाता है कि अभी इनकी संख्या 150 है। इनके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन यह आज भी शिकार के लिए तीर-कमान जैसे पुराने हथियार इस्तेमाल करते हैं। भारतीय कानून सेंटीनल लोगों की रक्षा करता है। उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। उनसे किसी प्रकार का संपर्क या उनके निवास क्षेत्रों में प्रवेश अवैध है। 2017 में ही सरकार ने इनका वीडियो बनाने या इंटरनेट पर अपलोड करने पर पाबंदी लगा दी थी। सेना को भी इनके करीब जाने की मनाही है। उत्तरी सेंटीनल एक प्रतिबंधित इलाका है और यहां आम इंसान का जाना बहुत मुश्किल है। सेंटीनली लोगों को काफी खतरनाक माना जाता है। ये हमले भी करते हैं। यहां जारवा जनजाति भी निवास करती है। सरकारी आदेश के मुताबिक इनसे भी मिलना प्रतिबंधित है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक करीब 60 हजार साल पहले सेंटीनली अफ्रीका से पलायन करके अंडमान में बस गए थे। न केवल भारत सरकार बल्कि तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठन सेंटीनली को बचाने की कोशिशें कर रहे हैं। बात सन 2004 की है, जब सूनामी ने तबाही मचाई थी। उस वक्त हिंद महासागर में आई इस तबाही के बाद उत्तरी सेंटीनल द्वीप में रहने वाले सेंटीनली लोगों के हालात जानने की कोशिश की गई। यह जनजाति अपने द्वीप की सुरक्षा को लेकर बहुत सजग रहती है, इसलिए उस वक्त जब भारतीय नौसेना का एक हेलीकॉप्टर इस इलाके में गश्त करने पहुंचा, सेंटीनली लोगों ने इस पर तीर बरसाने चालू कर दिए। इस हमले से प्रशासन निश्चिंत हो गया कि यह लोग सुरक्षित हैं और सूनामी में भी खुद को बचाने में कामयाब रहे। गौरतलब है कि सेंटीनली के हाथों मारे गए अमरीका के अल्बामा में रहने वाले जॉन एलन चाऊ (27) यहां ईसाई धर्म के प्रचार के लिए पांच बार पहले भी आ चुके थे। वो पहले भी सेंटीनली जनजाति से मिल चुके थे और इन लोगों में फुटबॉल, मछली पकड़ने का सामान और मेडिकल किट बांटते थे। चाऊ इन लोगों के लिए अजनबी नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्हें क्यों मार दिया गया, बड़ा सवाल है।