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आनंदी गोपाल जोशी : देश की पहली महिला डॉक्टर


लखनऊ : देश की पहली महिला चिकित्सक आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती पर ‘गूगल’ ने ‘डूडल’ बनाकर सम्मान है। आनंदी गोपाल जोशी की कहानी दिल को छू लेने वाली है। उनका नाम आनंदी बाई जोशी था, ब्याह के बाद उनका नाम आनंदी गोपाल जोशी पड़ा।पुणे में जन्‍मी आनंदीबाई जोशी की शादी नौ साल की उम्र में करीब 25 साल के गोपालराव जोशी से हुई थी। गोपाल को ज़िद थी कि अपनी पत्नी को ज़्यादा-से-ज़्यादा पढ़ाऊं, उन्होंने पुरातनपंथी ब्राह्मण-समाज का तिरस्कार झेला, पुरुषों के लिए भी निषिद्ध, सात समंदर पार अपनी पत्नी को अमेरिका भेजकर उसे पहली भारतीय महिला डॉक्टर बनाने का इतिहास रचा। आनंदीबाई के जीवन पर कैरोलिन वेलस ने भी 1888 में बायोग्राफी लिखी, जिस पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से सीरियल बना और उसका प्रसारण दूरदर्शन पर किया गया।
गोपालराव की आनंदी से शादी की शर्त ही यही थी कि वह पढ़ाई करेंगी, आनंदी के मायके वाले भी उनकी पढ़ाई के ख़िलाफ थे। ब्याह के समय आनंदी को अक्षर ज्ञान भी नहीं था, गोपाल ने उन्हें क,ख,ग से पढ़ाया। नन्ही सी आनंदी को पढ़ाई से खास लगाव नहीं था, मिथक थे कि जो औरत पढ़ती है उसका पति मर जाता है। आनंदी को गोपाल डांट-डपट कर पढ़ाते, एक दफा उन्होंने आनंदी को डांटते हुए कहा, तुम नहीं पढ़ोगी तो मैं अपना मज़हब बदलकर क्रिस्तानी बन जाऊंगा। अक्षर ज्ञान के बाद गोपाल, आनंदी के लिए अगली कक्षा की किताबें लाए, फिर वे कुछ दिन के लिए शहर से बाहर चले गए, जब वापस लौटे तो देखा कि आनंदी घर में खेल रही थी। वे गुस्से से बोले कि तुम पढ़ नहीं रही हो। आनंदी ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, जितनी किताबें थी सब पढ़ चुकी। आनंदीबाई मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा पाने के लिए अमेरिका गईं और साल 1886 में (19 साल की उम्र में) उन्होंने एमडी की डिग्री हासिल कर ली, वो एमडी की डिग्री पाने वाली और पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर बनीं। डिग्री लेने के बाद आनंदीबाई वापस देश लौटीं, लेकिन उस दौरान वे टीबी की शिकार हो गईं, दिन पर दिन सेहत में गिरावट के चलते 26 फरवरी 1887 को 22 वर्ष की आयु में आनंदी का निधन हो गया। 

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