आपके बच्चों को डिप्रेशन और स्ट्रेस कुछ ऐसी समस्याएं हैं
लंदन: डिप्रेशन और स्ट्रेस कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जो बड़ों से लेकर बच्चों को कभी भी हो सकती हैं। लेकिन इनसे संभल कर डील करने में ही समझदारी है। बाज़ार में मिलने वाली डिप्रेशन की दवाओं का व्यक्ति के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी नेगेटिव प्रभाव डालती हैं। ऐसे में अगर आपका बच्चा डिप्रेशन जैसी समस्या से पीड़ित है, तो आप उन्हें इन दावओं से दूर रखें।
एक शोध से इस बात का पता लगा है कि इस तरह की दवाएं बच्चों और किशोरों को अक्रामक (अग्रेसिव) बना सकती हैं। यहां तक कि उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति भी पनप सकती है। एक शोध में यह चेतावनी दी गई है। डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी देते हुए बताया कि अवसादरोधी (डिप्रेशन रोकने की) दवाओं से बच्चों और किशोरों में आक्रामकता और आत्महत्या की प्रवृत्ति का खतरा दोगना हो जाता है।
हालांकि उन्हें अवसादरोधी दवाओं का आक्रामकता और अवसाद में कोई सीधा संबंध नहीं मिला। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोध टीम ने 18,526 मरीजों की जांच की। जांच के दौरान उन्हें अवसादरोधी दवाएं दी गई थीं।
यह शोध बीएमजे नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें सिफारिश की गई है कि बच्चों, किशोरों और नवयुवकों को कम से कम अवसादरोधी दवाएं देनी चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें गंभीर हानि पहुंच सकती है। इसलिए अवसाद का इलाज दवाओं के जरिए करने की बजाय वैकल्पिक इलाज जैसे व्यायाम और साइकोथेरेपी के जरिए किया जाना चाहिए। ताकि डिप्रेशन से तो छुटकारा मिलेगा, साथ ही व्यायाम आदि से बॉडी भी फिट हो जाती है।