अद्धयात्म

आप भी नहीं जानते होंगे नवरात्र से जुड़ा ये प्राचीन रहस्य

shailputri-550be708cbaad_lस्तक टाइम्स/एजेंसी :  नवरात्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रात्रियों का समूह। इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवां दिन दशहरा के नाम से जाना जाता है। नवरात्र साल में चार बार आते हैं। दो बार गुप्त और दो बार प्रकट। गुप्त नवरात्र माघ व आषाढ में आते हैं जबकि प्रकट नवरात्र चैत्र व आश्विन में होते हैं। इन नौ दिनों में महाकाली, महासरस्वती व महालक्ष्मी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, साथ ही देवी दुर्गा को नौ भिन्न रूपों में पूजा जाता है। दुर्गा का अर्थ है- दुख हरनेवाली। हालांकि इस बार प्रतिपदा दो दिन की पड़ने से नवरात्र दस दिन के होंगे।

नव दुर्गा के स्वरूपों में शैलपुत्री प्रथम है। शैलपुत्री होने का तात्पर्य है कि वे कभी न हिलने-डुलने वाले पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। दुर्गासप्तशती के अनुसार संसार की समस्त नारियों में माता भवानी का ही रूप हैं। महिलाओं में जो भी सौभाग्य या सुंदरता है वह देवी की है। अत: शैलपुत्री के रूप में नारियों में स्थिरता, धैर्य, साहस, कठोरता और सहनशीलता आदि गुण होते हैं।
माता  वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू में 5,200 फीट की ऊंचाई पर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। कटरा से मंदिर की दूरी लगभग 14 किमी है। इस मंदिर में माता रानी तीन पिंडियों में विराजमान हैं। पहली पिंडी देवी महासरस्वती की है जो ज्ञान की देवी हैं। दूसरी पिंडी माता महालक्ष्मी की है जो धन-वैभव की देवी हैं और तीसरी पिंडी देवी महाकाली को समर्पित है जो शक्ति का रूप मानी जाती हैं।
एेसे सजाएं पूजा की थाली- कांसी, पीतल या चांदी की थाली में श्रीफल, रोली, मौली, चावल, गुड़, इलायची, सुपारी, लौंग, बतासे, यज्ञोपवीत, सिंदूर, कर्पूर, धूप व दीप रखें। लाल वस्त्र पर देवी प्रतिमा विराजित करें। देवी के दायीं ओर दीपक रखें। मिट्टी में जौ मिलाकर घट स्थापित करें। गणपति, मातृका, नवग्रह और कलश का पूजन करें। पूजन के बाद आरती व पुष्पांजलि करें। 

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