व्यापार

आम आदमी को मिल सकती है महंगाई के बोझ से राहत…

नई दिल्ली: ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’, यह पंक्ति सुनते ही हर आम आदमी का मन प्रफुल्लित हो जाता है, लेकिन अगले ही पल मन में ख्याल आता है कि आखिर ये होगा कैसे? अर्थशास्त्र की गणना करने वालों की मानें तो इस बार भारत की जनता के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं. हालांकि ये अच्छे दिन भारत सरकार के किसी फैसले की वजह से नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय वजहों से आने वाले हैं. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी के कारण भारत में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतें लगातार घट रही है, जिससे आने वाले दिनों में देश के उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिल सकती है.

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चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण बीते सप्ताह अंतररराष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का दाम करीब पांच डॉलर प्रति बैरल टूटकर करीब सात सप्ताह के निचले स्तर तक आ गया. वहीं, कच्चे तेल की खपत के मुकाबले आपूर्ति में वृद्धि होने से आने वाले दिनों में दाम में और गिरावट आ सकती है.

भारत आयात करता है खपत का 84 फीसदी कच्चा तेल
भारत अपनी खपत का तकरीबन 84 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. लिहाजा, देश में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतें मुख्य रूप से अंतररराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पर निर्भर करती है. अंतररराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में आई हालिया गिरावट के कारण भारत में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतें 15 दिनों दो रुपये लीटर से ज्यादा घट गई है. ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा बताते हैं कि तेल के दाम में आने वाले दिनों में और गिरावट की संभावना बनी हुई है जिससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगाम लग सकती है.

देश में खुदरा महंगाई दर बीते महीने दिसंबर में 7.35 फीसदी दर्ज की गई, जोकि तकरीबन साढ़े पांच साल का उच्चतम स्तर है. इससे पहले जुलाई 2014 में खुदरा महंगाई दर 7.39 फीसदी दर्ज की गई थी. खाद्य वस्तुओं के दाम में जोरदार इजाफा होने के कारण बीते कुछ महीनों से खुदरा महंगाई दर में लगातार वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन तेल का दाम घटने से खाद्य वस्तुओं की महंगाई कम हो सकती है, क्योंकि इन वस्तुओं की कीमतों में ढुलाई खर्च का अहम योगदान होता है.

मंदी के माहौल के चलते तेल की खपत कम
तनेजा ने कहा कि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण वहां मंदी का माहौल बनने से तेल की खपत कम हो सकती है. चीन दुनिया में कच्चे तेल का प्रमुख आयातक देश है. चीन का आयात घटने से तेल के दाम पर दबाव बना रहेगा. उन्होंने कहा कि तेल की वैश्विक आपूर्ति लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि दुनिया में मंदी का माहौल होने के कारण खपत में वृद्धि नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में नार्वे और नाइजीरिया में कच्चे तेल के उत्पादन से वैश्विक आपूर्ति में 12 लाख बैरल का इजाफा होने की संभावना है, जिससे कीमतों पर दबाव बना रहेगा.

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण के ट्रेड डील पर हस्ताक्षर के बाद उम्मीद की जा रही थी कि चीन की तरफ से कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी, लेकिन इस बीच कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस उम्मीद पर पानी फिर गया. उन्होंने कहा कि चीन में इसके कारण परिवहन व कारोबार पर असर पड़ा है, जिससे तेल की मांग कमजोर रहने की आशंकाओं के बीच कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है.

महीने में कच्चे तेल के दाम 16 फीसदी टूटे
अंतररराष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर आठ जनवरी को ब्रेंट क्रूड का दाम जहां 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था वहां बीते सप्ताह 60.25 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया. ब्रेंट क्रूड का दाम इस महीने के ऊपरी स्तर से करीब 16 फीसदी टूट चुका है. देश की राजधानी दिल्ली में 11 जनवरी के बाद पेट्रोल (Petrol) 2.15 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो गया है जबकि डीजल (Diesel) के दाम में उपभोक्ताओं को 2.21 रुपये प्रति लीटर की राहत मिली है.

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