आरएसएस स्कूल का मुस्लिम छात्र बना रोल मॉडल, बोर्ड में 10 CGPA
एक ओर जहां मुस्लिम समुदाय के लोग आरएसएस के संस्थानों के खिलाफ हैं वहीं अंसारी ने यह बेहतर परिणाम पतरातू में राष्ट्रीय स्वयं संघ द्वारा संचालित स्कूल में पढ़कर प्राप्त किया है। केवल यही नहीं इस स्कूल से अंसारी ने वेद व संस्कृत का बढ़िया ज्ञान प्राप्त किया है। मुस्लिम बहुल गांव हफ्फुआ के बच्चों के लिए अब अंसारी प्रेरणा है। इस गांव में दिहाड़ी मजदूरों, किसानों व छोटे व्यापारी रहते हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कुछ दिनों पहले ही हफ्फुआ अपराधियों के मोहल्ले के तौर पर जाना जाता था। पुलिस व खुफिया विभागों के लिए हफ्फुआ लाल झंडा था। रांची के रामगढ़ इलाके में बैंक डकैतियों व लूटपाट वाले घटनाओं में शामिल अधिकांश अपराधियों को यहां ट्रेस किया जा सकता था। लेकिन वरिष्ठ आरएसएस नेता एस एन सिंह के सामाजिक हस्तक्षेप से गांव का परिदृश्य काफी बदला और सबसे अधिक विकास करने वाला यह गांव सबडिविजन बन गया।
हफ्फुआ में मेकैनिकल प्रशिक्षण के लिए युवाओं को चुनने संबंधित एक दौरे के दौरान सिंह ने अंसारी को देखा। गर्व महसूस करते हुए सिंह ने कहा, ‘उसके माता-पिता से अनुमति लेकर मैं उसे पतरातू लेकर आया, लोकल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में नामांकर करवाया और असके आने जाने व रहने की व्यवस्था की। आठ सालों बाद वह मेहनती छात्र और बढ़िया इंसान के रूप में सामने आया है।‘
अंसारी अपनी सफलता के लिए खुश है और इसका श्रेय सिंह व स्कूल देता है। अंसारी ने कहा,’मेरे स्कूल में डिग्री प्राप्त करने से कहीं ज्यादा ध्यान ज्ञान अर्जन पर दिया जाता है।‘ सकूल प्रिंसिपल, शिव कुमार चौधरी ने भी प्रशंसा करते हुए कहा, ‘उसमें काबिलियत है और हमने केवल उसे निखारा है।‘
इस साल स्कूल से 86 छात्रों ने बोर्ड परीक्षा दी लेकिन केवल सात ने 10 सीजीपीए हासिल किया और अंसारी उनमें से एकमात्र मुस्लिम छात्र है। उसकी इस सफलता से अब मुस्लिम परिवारों के बच्चे भी आरएसएस संचालित स्कूलों की ओर अपना रुख करेंगे। वर्तमान में करीब 20 मुस्लिम छात्र यहां हैं।
अब अंसारी आइआइटी से केमिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है लेकिन अभी चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहता है।