इंडियन ब्यूरोक्रेसी की एक नई हिस्ट्री लिखे जाने की तरफ बढ़ रही है। पोस्ट रिटायरमेंट, उत्तराखंड के सीएस के पद पर पुनर्नियुक्ति सही है या गलत, इस पर जिरह जारी है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अभी भी अपने निर्णय पर कायम है। बुधवार की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि मुख्य सचिव के पद से जिस अफसर को हटाने के लिए केंद्र ने आदेश दिया, प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रगति कार्यक्रम के तहत उसी अफसर से बतौर मुख्य सचिव राज्य की योजनाओं के बारे में बात की।
नौकरशाही का बुधवार को पूरा दिन अजीब तरह की हलचल के बीच गुजरा। भ्रम की स्थिति बनी रही कि केंद्र का आदेश आने का बाद राकेश शर्मा मुख्य सचिव है कि नहीं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कोई किसी तरह के भ्रम में ना रहे। आज की तारीख में राकेश शर्मा मुख्य सचिव हैं।
हमने कानूनों के तहत ही निर्णय लिया है। डीओपीटी कंट्रोलिंग अथॉरिटी है, हम अंतत: उसी के हुक्म की तामील करेंगे, लेकिन उससे पहले केंद्र से कुछ सवालों का जवाब चाहिए।
मगर, मजेदार पहलू यह रहा कि एक दिन पहले ही केंद्र ने मुख्य सचिव के पद से राकेश शर्मा को हटाने के लिए डीओपीटी ने कड़ी चिट्ठी राज्य को भेजी। चिट्ठी में कहा गया कि यह निर्णय अवैधानिक है, तत्काल योग्य अफसर की नियुक्ति सीएस के पद पर की जाए।
बुधवार को अफसरों से प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य से जुड़ी योजनाओं पर बात की। प्रगति कार्यक्रम के तहत पीएम ने सीएस से आधार कार्ड समेत कई मुद्दों पर बात की। अब इस सारे घटनाक्रम के बाद जब भी कोई नया निर्णय होगा, वह प्रदेश ही नहीं, देश की नौकरशाही के कारवां को भी नई दिशा देगा।
मुख्य सचिव के पद पर पुनर्नियुक्ति को लेकर राजभवन कृष्णकांत पॉल ने शासन के अफसरों को तलब कर निर्णय केपीछे के कानूनी पहलुओं की जानकारी ली।
माना जा रहा है कि केंद्र के इशारे के बाद राज्यपाल ने पहले मुख्य सचिव और कुछ समय बाद ही प्रमुख सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को तलब किया। क्योंकि आदेश उन्हीं के आदेश से जारी हुआ था। इसके बाद महामहिम ने पुनर्नियुक्ति के पीछे की कहानी को समझने की कोशिश की।