
जानिए, क्या कहते हैं डॉक्टर
यदि ये बालिकाएं रोशनी को सहन नहीं कर पा रही हैं तो यह मस्तिष्क में अधिक उजाला पहुंचने से हो रहा होगा। जांच के बाद ही बीमारी का सही पता चल सकता है। ऐसे मामलों में रोशनी आंखों के जरिए सीधे ब्रेन में पहुंचती है, ब्रेन में स्पाइकन हो जाता है, जिस कारण फोटो सेंस्टिविटी बढ़ जाती है। इस बीमारी की जांच संभव है और दवा से ये दोनों ठीक भी हो सकती हैं।
-डॉ. पीके गुप्ता, मनोचिकित्सक, देहरादून।
इन बालिकाओं के बारे में आज ही ग्रामीणों ने बताया है। इनकी सुध ली जाएगी। जल्द ही तहसील की टीम गांव भेजी जाएगी।
-संजय कुमार, प्रभारी डीएम चमोली।