इमिग्रेशन बैन पर बढ़ी ट्रंप की मुश्किल, US के 16 अटॉर्नी जनरलों ने दी चुनौती
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इमिग्रेशन प्रतिबंधों के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच देश के 16 अटॉर्नी जनरलों ने भी इन प्रतिबंधों के खिलाफ आवाज उठाई है|उन्होंने मुस्लिम बाहुल्य सात देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध को ‘भेदभावपूर्ण’ करार देते हुए इसे असंवैधानिक और गैर अमेरिकी बताया है|
ट्रंप ने सात देशों के नागरिकों पर लगाया था बैन
आपको याद दिला दें कि हाल ही में ट्रंप ने ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन जैसे सात देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध वाले शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए थे| हालांकि सिएटल की एक संघीय अदालत ने इस आदेश के क्रियान्वयन पर अस्थाई रोक लगा दी है|
कोर्ट पहुंचा ट्रंप प्रशासन
ट्रंप प्रशासन ने इस स्टे ऑर्डर को यूएस नाइंथ सरकिट कोर्ट ऑफ अपील्स में चुनौती दी है. यहां 16 राज्यों के अटॉर्नी जनरलों ने भी शासकीय आदेश के खिलाफ न्यायमित्रों की राय दाखिल की है|
हमें गर्व है
पेनसिल्वेनिया के अटॉर्नी जनरल जोश शापिरो ने कहा, “यह याचिका हमारे समुदाय को सुरक्षित रखने, अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करने और कानून के शासन को बरकरार रखने के लिए दाखिल की गई है| पेनसिल्वेनिया की स्थापना स्वतंत्रता के वादे के साथ की गई थी और वाशिंगटन राज्य मुकदमे के समर्थन की अगुआई करने में हमें गर्व है|”
राष्ट्रपति संविधान से बड़ा नहीं
मेसाच्युसेट्स की अटॉर्नी जनरल माउरा हेइले ने कहा, “कोई भी राष्ट्रपति अथवा प्रशासन हमारे कानून और संविधान से ज्यादा शक्तिशाली नहीं है| राज्य के अटॉर्नी जनरल होने के नाते यह हमारा फर्ज है कि हम इस प्रशासन को जवाबदेह बनाएं और अपने राज्य और अपने लोगों के हितों के लिए खड़े हों| इस प्रयास में हम एकजुट हैं|”
असंवैधानिक है बैन
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल एरिक श्नेइडरमैन ने इस प्रतिबंध को असंवैधानिक, गैर कानूनी और मूलरूप से गैर अमेरिकी करार दिया है|
एजुकेशन सेक्टर में भारी नुकसान
न्यायमित्रों की राय में संघीय अदालत के आदेश को बरकरार रखने और स्टे के लिए सरकार के आपात प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की गई है|अटॉर्नी जनरलों ने कहा है कि इस कार्यकारी आदेश ने राज्य के कॉलेजों को और देश भर के विश्वविद्यालयों को नुकसान पहुंचाया है और लगातार नुकसान पहुंचा रहा है|खासतौर पर उन राज्यों को, जो कि विश्व भर से छात्रों और शिक्षकों पर निर्भर हैं|