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इलाज से बेहतर है परहेज : प्रो. बी.एन. सिंह

लखनऊ : इलाज से बेहतर है परहेज, इसलिए व्यक्ति की जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए कि रोग उसके पास न आये और इलाज की जरूरत ही न पड़े। आर्यकुल ग्रुप ऑफ कालेज में आयुष डे के दिन आयोजित सेमिनार में होम्योपैथी के पूर्व निदेशक प्रो.बी.एन.सिंह ने यह बातें कही। आयुष डे के दिन आर्यकुल कालेज में आयुष भवः कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कालेज के चैयरमेन श्री के.जी.सिंह, प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह,प्रो.बी.एन.सिंह, प्रो.डी.एम.त्रिपाठी, डॉ.रविकान्त ने द्वीप प्रज्ज्वलित करके किया। सेमिनार में संबोधित करते हुए प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह ने कहा कि मैं अपने कालेज और बच्चों की ओर से प्रो.बी.एन. सिंह का धन्यवाद देता हूँ कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम के कुछ समय निकाल कर इस सेमिनार में उपस्थित हुए। श्री सिंह ने कहा आज आयुष चिकित्सा विज्ञान ने अपने शोधों से इतनी तरक्की की है कि अचूक पद्धतियों के दम पर किसी भी रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही सशक्त सिंह ने कहा कि प्रो. बी.एन.सिंह के अथक प्रयासों से ही प्रदेश में डिप्लोमा इन होम्योपैथी का कोर्स आरम्भ हुआ था जिसके लिए मैं इनका धन्यवाद देता हूँ। इसी क्रम में बच्चों को सम्बोधित करते हुए प्रो. बी.एन.सिंह ने कहा कि सभी बच्चों को अपने जीवन में दिल और दिमाग का उपयोग सही ढंग से करना चाहिए जिससे उसकी ऊर्जा का उपयोग सही कार्यों में लग सके और सही जीवन शैली के दम पर अपने आप निरोगी रह सकें। क्योंकि स्वस्थ्य शरीर में ही ऊर्जा को बेहतर ढंग से अपने विकास में उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सभी को संस्कारवान होना चाहिए और जीवन में अपना लक्ष्य बना कर सही दिशा में कार्य करना चाहिए जिससे हम अन्त में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इसी के साथ उन्होंने आधुनिकता की बात करते हुए कहा कि व्यक्ति को अपनी परिवार की परम्पराओं और संस्कार पर चलना चाहिए न कि आधुनिकता को देख कर उस ओर भागना चाहिए उन्होंने अपने होम्योपैथी कैरियर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ डिग्री के दम पर कोई डाक्टर अच्छा नहीं बन सकता उसको अपने मरीज का पूरा इतिहास जाने बगैर किसी भी प्रकार की दवा नहीं देनी चाहिए। आज के दौर में होम्योपैथी चिकित्सा बहुत आगे निकल गयी है। इस चिकित्सा पद्धति में कई असाध्य रोगों को जड़ से समाप्त करने की दवा है। लोगों का विश्वास आज होम्योपैथी की तरफ जागा है इसका सबसे बड़ा कारण इन दवाइयों को बहुत कम साइड इफैक्ट होना है। इसके साथ ही सभी आयुष पद्धतियों में उन सभी असाध्य रोगों को जड़ से समाप्त करने का तरीका है जो अन्य कही जल्दी नहीं मिलेगा। इसलिए भारत सरकार की ओर से भी आयुष मंत्रालय का गठन किया गया है। जिसमें आयुष चिकित्सा को बढ़ावा और शोध पर विशेष कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही एक मुख्य बात बताते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर में जो औषधि रोग के जिन लक्षणों को प्रकट करती है यदि रोगी को वही दवाई बहुत कम मात्रा में दी जाए तो वह ठीक हो जाता है। यही होम्योपैथी चिकित्सा का मुख्य सिद्धांत है। अन्त में उन्होेंने बच्चों के कई सवालों का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी रोग का सही समय पर पता चल जाने पर उसका पूरा इलाज संभव है। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष अंकिता अग्रवाल, एच.आर. नेहा वर्मा के साथ समस्त स्टाफ उपस्थित रहे।


डी.एल.एड. प्रथम वर्ष की फ्रेशर पार्टी
आर्यकुल कालेज ऑफ एजुकेशन में डी.एल.एड. प्रथम वर्ष की फ्रेशर पार्टी का आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों द्वारा डांस प्रतियोगिता, गीत प्रतियोगिता, मिमिकरी प्रतियोगिता, रैम्प वॉक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें मिस फ्रेशर आयुषी अवस्थी, मिस्टर फ्रेशर आशुतोष द्विवेदी, मिस टेलेन्ट शिखा सिंह चौहान, मिस्टर टेलेन्ट अभिनन्दन सिंह, मिस एलीगेन्ट पारूल यादव, मिस्टर इलीगेंट अंजु तिवारी को चुना गया। जिनको प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह द्वारा पुरस्कृत किया गया।

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