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इसरो को मिली बड़ी सफलता, श्रीहरिकोटा से लांच किया ‘जीसैट-29’

अंतरिक्ष में लगातार अपनी धाक जमा रहे भारत ने आज सफलता का नया कीर्तिमान रचा है। इसरो ने बुधवार शाम को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एक और संचार उपग्रह ‘जीसैट-29’ को सफलतापूर्वक लांच किया है। यह संचार उपग्रह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच किया गया है। बता दें कि इसरो का यह इस साल का पांचवां लांच है। इसरो के चेयरमैन और रॉकेटमैन के नाम से मशहूर डॉ के सिवान ने इस सफलता का श्रेय पूरी टीम को दिया है।

इसरो को मिली बड़ी सफलता, श्रीहरिकोटा से लांच किया 'जीसैट-29'संचार जगत के लिए होगा महत्वपूर्ण

जीसैट-29 हाईथ्रोपुट कम्युनिकेशन उपग्रह है, जो जम्मू कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहे है। इसमें उपयोग किए जा रहे पेलॉड्स डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में मजबूती प्रदान करेंगे। यह उपग्रह जम्मू- कश्मीर के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों को बेहतर सेवा मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे इन क्षेत्रों में इंटरनेट भी हाई स्पीड में चलेगा।

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नई स्पेस तकनीक में मिलेगी मदद

जीसैट -29 में इसरो काफी नए प्रयोग करने जा रहा है। इसरो प्रमुख के अनुसार ऑपरेशनल पेलॉड्स के अलावा यह उपग्रह तीन प्रदर्शन प्रौद्योगिकियों, क्यू ऐंड वी बैंड्स, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन और एक हाई रेजॉल्यूशन कैमरा भी अपने साथ ले जाएगा। स्पेस मिशन में इसरो पहली बार इन तकनीकों का परीक्षण करने जा रहा है।

पूरी तरह भारत में बना रॉकेट 

भारत आज तकनीकी दुनिया में कई नए पैमाने गढ़ेगा। बताया जा रहा है कि जीसैट-29 को लांच करने के लिए जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे भारत में ही बनाया गया है।  640 टन वजन वाला इस रॉकेट को बनाने और इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में इसरो को 15 वर्षों का समय लगा है। 13 मंजिल की बिल्डिंग जितनी ऊंचाई वाले इस रॉकेट में कई खासियत है। ये चार टन तक के उपग्रह लांच कर सकता है। अपनी पहली उड़ान में इसने रॉकेट 3136 किलोग्राम के उपग्रह को उसकी कक्षा में पहुंचाया था। इस रॉकेट में स्वदेशी तकनीक से तैयार हुआ नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है।

10 साल तक करेगा काम 

इसरो के अनुसार, जीएसएलवी-एमके III रॉकेट की दूसरी उड़ान होगी, जो लांच होने के बाद 10 साल तक काम करेगा। यह लांच होने के बाद पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट (जीएसओ) में स्थापित होगा। यह भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डेटा को ट्रांसफर करने में मदद करेगा। आज लांच होने वाला इसरो का इस साल का यह पांचवा रॉकेट होगा।

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