अद्धयात्म
इस तिथि में जन्मे लोग होते हैं यात्रा के शौकीन
द्वादशी तिथि में यथाआवश्यक विवाहादि मांगलिक कार्यों सहित जनेऊ तथा अन्य चर व स्थिर कार्य शुभ रहते हैं।
त्रयोदशी तिथि में जनेऊ को छोड़कर मांगलिक कार्यों सहित यात्रा, प्रवेश, युद्ध, वस्त्रालंकार आदि कार्य शुभ कहे गए हैं। पर अभी मलमास में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं हैं।
द्वादशी तिथि में जन्मा जातक यात्राएं अधिक करने वाला, चंचल, दुस्साहसी, कामलोलुप, वस्त्र और भोजन में तत्पर, पर सदाचारी, सुंदर व ऐश्वर्यवान होता है।
भरणी नक्षत्र में यथा आवश्यक साहस, दारूण, उग्र व अग्निविषादिक असद् कार्य, शत्रुमर्दन, बन्धन, कुआ, बावड़ी बनवाना, उग्र व कृषि सम्बन्धी कार्य तथा कृतिका नक्षत्र में सभा साहस, अग्निग्रहण, शत्रुवध, विवाद, लोहा व मणि सम्बन्धी कार्य करने चाहिए। मांगलिक कार्य वर्जित है।
वैसे भी अभी मलमास में मांगलिक कार्य वर्जित हैं। भरणी नक्षत्र में जन्मा जातक सत्यप्रिय, स्वास्थ्य प्राय: अच्छा, सुमार्गगामी, कामासक्त, अस्थिर मनोवृत्ति, दीर्घायु, शत्रुजित तथा इन्हें चोटादि का भय बना रहता है। वैसे इनका भाग्योदय लगभग 25 वर्ष के बाद ही होता है।
वारकृत्य कार्य
मंगलवार को सामान्य रूप से उग्र व तीक्ष्ण संज्ञक कार्य, अग्निविषादिक असद् कार्य, चुगली करना, जासूसी, भेद लेना, कूट-कपट व धोखे के कार्य, चौर्य व तस्करी, झूठ बोलना, संधिविच्छेद, विवाद, शस्त्र प्रयोग आदि कार्य सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ गुड़ खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार कल दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।