इस महिला ने बताया- ‘मुझे 7 बार खरीदा-बेचा गया’
नई दिल्ली : उत्तरी इराक में कुर्दिश सीमा के पास एक छोटा सा गांव है, लालिश। यह गांव इतना पवित्र माना जाता है कि यहां कोई चप्पल तक नहीं पहनता, लोग घर-बाहर हर जगह नंगे पांव ही चलते हैं।इराक में रहने वाले अल्पसंख्यक यजिद समुदाय के लिए इस गांव की बहुत अहमियत है। गांव के बीचोबीच एक गुफा के पास छोटा सा बेहद पवित्र माना जाने वाला तालाब है। यजिदी समुदाय में चाहे बच्चे का जन्म हो, या फिर शादी या किसी की मौत, जबतक लालिश की मिट्टी के साथ इस तालाब के पानी को मिलाकर रस्म नहीं निभाई जाती तबतक कोई काम पूरा नहीं होता।
कई पीढ़ियों से यह सिलसिला बदस्तूर चला आ रहा था, लेकिन अब इस गांव में एक अजीब किस्म का मार्मिक सन्नाटा पसरा रहता है। इस्लामिक स्टेट (ISIS) के चंगुल से बचकर आईं डरी-सहमी और कांपती लड़कियों, युवतियों और महिलाओं जब-तब यहां दिख जाती हैं। ‘द गार्डियन’ अखबार ने यजिदी महिलाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। ये सभी यहां आकर प्रार्थना करती हैं और पवित्र जल से खुद को धोकर खुद के ‘दोबारा’ पवित्र होने की उम्मीद करती हैं। माना जाता है कि यहां आकर अपना सिर और चेहरा धोने के बाद वे दोबारा अपने धर्म में शामिल हो गई हैं।
28 साल की नूर भी इसी मकसद से यहां पहुंची हैं। उनके पति अभी तक लापता हैं। नूर कहती हैं कि उन्हें 7 बार खरीदा और बेचा गया। इतनी यातनाएं सहने के बाद भी नूर का मानना है कि उनके साथ हुए सलूक से बदतर बर्ताव कई अन्य महिलाओं के साथ हुआ। जब ISIS ने नूर को पकड़ा था, उस समय उनकी दोनों बेटियों की उम्र क्रमश: 3 और 4 साल की थी।
नूर खुद गर्भवती भी थीं। 15 महीने तक नूर और उनकी 2 छोटी बच्चियों को ISIS ने गुलाम बनाकर रखा। ISIS का मानना है कि गैर-मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करना असल में अपने ‘खुदा’ की इबादत का एक तरीका है। ISIS ने अपने कब्जे वाले इलाके में कई ऐसे बाजार बनाए, जहां छोटी-छोटी बच्चियों और महिलाओं की नीलामी होती थी। यहां तक कि ISIS ने ऑनलाइन भी महिलाओं को बेचना शुरू किया।