स्वास्थ्य

इस मौसम में बढ़ सकता है जोड़ों का दर्द, इन बातों का रखें ध्यान…

मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण इस समय वायरल फीवर और जोड़ों के दर्द से पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हुई है। बारिश के दौरान शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इस दौरान भोजन ठीक से नहीं पचता, जिससे शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगता है और यही जोड़ों के दर्द का कारण बनता है। बारिश के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। इनके बीच का समय संधिकाल कहलाता है, यदि इस दौरान सावधानी नहीं बरती गई तो ब्रॉन्कियल अस्थमा, साइनोसाइटिस, एलर्जी, जोड़ों के दर्द की समस्या पैदा होती है।

हालांकि जोड़ों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे चोट लगना, संक्रमण, आर्थराइटिस। ज्यादातर घुटने, टखने और कोहनी में दर्द हो सकता है। जोड़ों का दर्द क्या है और क्यों होता है और क्या है इसका इलाज, बता रहे हैं वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. शिव शंकर त्रिपाठी।

ज्यादा आरामदायक जीवन नुकसानदायक
अति किसी भी चीज की बुरी होती है। भूख से अधिक भोजन लेने से जोड़ों में दर्द होता है। इसके अलावा देर से पचने वाले भोज्य पदार्थ जैसे, उड़द, राजमा, कटहल, अरबी, खट्टा दही, ठंडा पानी, अधिक तले भुने तथा मिर्च मसाला युक्त भोजन का सेवन करना भी इसका कारण है। बासी भोजन या फ्रिज में रखे भोज्य पदार्थ खाने से भी जोड़ों का दर्द होता है। अत्यधिक आरामदायक जीवन का जीना, व्यायाम न करना, देर से जागना, भोजन के तुरंत बाद अत्यधिक परिश्रम करने से भी जोड़ों के दर्द की समस्या पैदा होती है।

इन बातों का रखें ध्यान
आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का कारण मंदाग्नि या हमारी कमजोर पाचन शक्ति है। जब हमारी पाचन शक्ति कमजोर होती है तो कब्ज की दिक्कत होती है। यदि ऐसा हो तो रात में छोटी हरड़ का चूर्ण सेंधे नमक के साथ गुनगुने पानी से लिया जाय तो पेट साफ होगा। इसके अलावा प्रात:काल दो गिलास गुनगुना पानी जरूर पिएं। सोंठ, मेथी और हल्दी का चूर्ण सामान मात्रा में मिलाकर रख लें। एक-एक चम्मच दिन में दो-दो बार गुनगुने पानी से लें। इसके अलावा कफ से बचने के लिए चाय के रूप में तुलसी, अदरक, काली मिर्च और मुलेठी को उबाल लें।

इसके अलावा जोड़ों के दर्द में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए विटामिन डी आवश्यक है, इसलिए धूप का सेवन अवश्य करें। किसी भी प्रकार के दर्द एवं ज्वर में हरसिंगार की पत्तियों का काढ़ा सोंठ के चूर्ण के साथ लेना लाभकारी है। रोग की बढ़ी हुई अवस्था में आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेकर औषधियों का सेवन किया जाना चाहिए।

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