इस साल नोटबंदी और जीएसटी की वजह से शादियों का बजट गड़बड़ा सकता है. शादी करना 10 से 15 फीसदी महंगा हो सकता है. आपको फोटोग्राफी, वेन्यू, ज्वैलरी, कपड़ों समेत अन्य चीजों के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम ने जीएसटी और नोटबंदी की वजह से बदली कीमतों का अध्ययन करने के बाद यह अनुमान लगाया है.
एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से कई चीजों की कीमतें बदली हैं. कीमतों में इस बदलाव का सीधा असर आने वाले वेडिंग सीजन पर पड़ेगा. एसोचैम के मुताबिक इस वेडिंग सीजन आपको ज्वैलरी और कपड़े खरीदने के लिए, सलून व ब्यूटी पार्लर, होटल, मैरेज हॉल, कुरियर व अन्य सेवाओं के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा कीमतें चुकानी पड़ेंगी.
इनकी भी बढ़ी कीमतें
एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी के बाद शॉपिंग, टेंट बुकिंग और कैटरिंग जैसी कई अहम सेवाओं की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. इनमें से ज्यादातर पर 18 से 28 फीसदी जीएसटी लगता है. पहले ऐसा नहीं था.
पहले नहीं देते थे टैक्स
दरअसल जीएसटी से पहले टेंट बुकिंग और कैटरिंग समेत अन्य कई सेवाएं देने वाले ये लोग गैर-पंजीकृत बिल का इस्तेमाल किया करते थे. इस पर उन्हें किसी भी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता था. एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कुछ लेख भी शामिल किए हैं. ये लेख शादी और उससे जुड़े सामानों पर लगने वाले जीएसटी को लेकर है.
इन सामान पर है पहले के मुकाबले ज्यादा टैक्स
500 रुपये से ज्यादा के अगर आप जूते लेते हैं, तो आपको 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है. वहीं, सोने और हीरे की ज्वैलरी पर टैक्स 1.6 फीसदी से बढ़ाकर 3 फीसदी कर दिया गया है. फाइव स्टार होटल में शादी करने पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा. इवेंट मैनेजमेंट आउटफिट्स को 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ रहा है. हॉल बुकिंग और गार्डन को भी शादी के लिए लेने पर आपको इसी श्रेणी में टैक्स चुकाना पड़ेगा.
वेडिंग सीजन से होती है इनकी कमाई
एसोचैम ने कहा कि मनोरंजन से लेकर ब्यूटी सेवाएं देने वाले लोग, पर्यटन और यहां तक की मैट्रीमोनियल साइट्स भी वेडिंग सीजन से कमाते हैं. विदेशी लोग भी भारत के वेडिंग सीजन की कमाई में अपना योगदान देते हैं.
डेस्टिनेशन वेडिंग पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर
हालाुंकि डेस्टिनेशन वेडिंग पर जीएसटी और नोटबंदी का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. एसोचैम के मुताबिक डेस्टिनेशन वेडिंग पहले ही काफी महंगी है. यह भारतीयों का मनपसंद विकल्प भी नहीं है. इसे ज्यादातर विदेशी और एनआरआई ही चुनते हैं.