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ईशनिंदा केस: पाक कोर्ट ने ईसाई महिला को मृत्युदंड से बरी किया, देशभर में विरोध

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की आरोपी एक ईसाई महिला की फांसी की सजा को पलट दिया। अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था। उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया। हालांकि बीते आठ वर्षों में उन्होंने अपना अधिकतर समय एकांत कारावास में बिताया।

अब फैसला आते ही पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। बुधवार को फैसला आने के बाद प्रदर्शनकारियों ने जीटी रोड समेत कम से कम 21 सड़कों पर जाम लगा दिया। कुछ लोगों ने टायर जलाकर अपने विरोध का इजहार किया। विरोध को देखते हुए पंजाब प्रांत के गृह विभाग ने 31 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक प्रांत में धारा 144 लगा दी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता पंजाब असेंबली के बाहर इकट्ठा हुए और फैसले की निंदा की। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है और आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुआई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार सुबह अपना फैसला सुनाया। पीठ ने इस नतीजे पर पहुंचने के करीब तीन सप्ताह बाद इस संबंध में अंतिम फैसला सुनाया।

फैसला आने में हो रही देरी को देखते हुए ईशनिंदा विरोधी प्रचारकों ने प्रदर्शन की धमकी दी थी। निसार ने फैसले में कहा, ‘उनकी दोषसिद्धि को निरस्त किया जाता है और अगर अन्य आरोपों के तहत जरूरी नहीं हो, तो उन्हें फौरन रिहा किया जाए।’ बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी जिसे 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। हिंसा की आशंका को देखते हुए इस्लामाबाद में सुनवाई के दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे।

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