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उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन ग्रामीणों के सामने फेल

uttarakhand-faced-disaster-situation-due-to-rain_1467533798समरजैंस मोटर मार्ग पर हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर प्रदेश के आपदा प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी। प्रशासन के आपदा प्रबंधन के दावे धरे के धरे रह गए। रेस्क्यू चलाना तो दूर प्रशासन घटना की जानकारी लगने के कई घंटे बाद भी घटना स्थल नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने अंधेरे में जान जोखिम में डाल कर पांच घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर सभी मृतकों और घायलों को खाई से बाहर निकाला।
 
यूटिलिटी खाई में गिरने की सूचना आसपास के गांव के लोगों को रात करीब दस बजे लगी। खबर लगते ही खुन्ना गांव के साथ ही खुन्ना-अलमान, बिसोई, क्यारी, कांडोई, उभऊ गांव के लोग राहत और बचाव कार्य के लिए घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। रात में बूंदाबांदी और घने कोहरे के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में भारी परेशानी हुई।
लेकिन, ग्रामीणों ने प्रशासन का मुंह ताकने के बजाय निजी संसाधनों से ही रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की।एक-एक कर ग्रामीण खड़ी ढलान से नीचे उतरने लगे। इस बीच रुक-रुककर भूस्खलन भी जारी था। मलबा और पत्थर नीचे बचाव कार्य में जुटे ग्रामीणों की ओर गिर गए रहे, लेकिन ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी। ग्रामीण हाथों में जोक्टी (मशाल) और टार्च लेकर खाई में उतरे। जहां तहां शव बिखरे पड़े थे।

घायलों की कराह से पूरी घाटी में दर्द घुला हुआ था। महज बांस के डंडों के सहारे ग्रामीणों ने शवों को सड़क तक पहुंचाया। घायलों को कंधों पर लादकर किसी तरह बाहर निकाला। रात 10 बजे से शुरू हुआ बचाव कार्य तीन बजे तक चला। इसके बाद तक प्रशासन का कोई नुमाइंदा मौके पर नहीं पहुंच सका था।

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