देहरादून: उत्तराखंड के मदरसों में मदरसा बोर्ड की ओर से कराई जा रही जांच में कई तरह की अनियमितताएं सामने आ रही हैं। कहीं विभाग की ओर से छात्र संख्या से अधिक मिड डे मील मंगाया जा रहा है तो कहीं शिक्षकों के पास विभाग की ओर से तय डिग्री या डिप्लोमा नहीं है। हालांकि, अभी जांच प्रक्रिया जारी है और बोर्ड का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कुछ दिन पूर्व उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को शिकायत मिली थी कि देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर जिलों के मदरसों में मिड डे मील के आवंटन में अनियमितताएं बरती जा रही हैं। मदरसों में छात्र संख्या कम होने के बावजूद राशन अधिक छात्रों पर आवंटित हो रहा है। साथ ही मदरसों में शिक्षकों के पास आवश्यक डिग्री भी नहीं है।
शिकायत के बाद बोर्ड के निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने जांच शुरू की। प्रथम चरण में दून के आठ मदरसों की जांच कराई गई। इस दौरान रायपुर के एक मदरसे में छात्र संख्या 125 दर्ज थी, जबकि वहां 99 छात्र ही मिले। रायपुर के ही दूसरे मदरसे में छात्र संख्या 142 दर्ज थी, जबकि वहां मात्र 86 छात्र उपस्थित मिले। इस मदरसे में अभिलेखों का भी उचित रखरखाव नहीं था। इसके अलावा विकासनगर क्षेत्र के एक मदरसे में 142 के सापेक्ष 124 छात्र मौजूद पाए गए।
बता दें कि मदरसों में धार्मिक सत्र पढ़ाने के लिए अपनी व्यवस्था होती है। जबकि, दूसरे विषय पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से तय अर्हता पूरी करने वाले शिक्षक नहीं थे। हालांकि, मदरसों में स्नातक-परास्नातक तक शिक्षा प्राप्त शिक्षक मौजूद थे। लेकिन, उनके पास शिक्षण के लिए ली जाने वाली आवश्यक डिग्री व डिप्लोमा नहीं था।
बोर्ड के निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि जिन मदरसों में अब तक जांच हुई है, उनमें एक-दो को छोड़ बाकी में अनियमिताएं पाई गईं। पहले पूरे मामले की जांच होगी, उसके बाद ही इस संबंध में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जांच का अभी शुरुआती चरण
अभी 90 फीसद से अधिक मदरसों की जांच होनी है। बोर्ड ने आशंका जताई है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे कई अनियमितताएं सामने आएंगी।