देहरादून: प्रदेश में एक बार फिर खनन नीति के मानकों में बदलाव की तैयारी है। खनन कारोबारियों द्वारा स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट की नदी से दूरी के मानक में दी गई दूरी बढ़ाने का अनुरोध पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है। इसके बाद शासन में इस पर कवायद तेज हो गई है।
प्रदेश में खनन का बहुत बड़ा कारोबार है। यह राजस्व देने वाले मुख्य विभागों में शामिल है। खनन के पट्टों के वितरण को लेकर बीते वर्षों में उठे सवालों को देखते हुए खनन पट्टों की नीलामी ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया था। इस प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में पट्टों की नीलामी की बात कही गई। शुरुआत में तो विभाग ने दावा किया कि इससे उसे खासा मुनाफा हुआ है लेकिन जब पट्टों को लेने का समय आया तो खनन कारोबारियों ने इन्हें उठाने से हाथ पीछे खींच दिए।
खनन कारोबारियों द्वारा उठाए गए बिंदुओं को देखते हुए शासन ने अक्टूबर अंत में नीति में बदलाव किया। माना गया कि इससे कार्य गति पकड़ेगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। अब खनन कारोबारी नई नीति के कुछ बिंदुओं को लेकर कारोबारियों ने फिर आपत्ति जताई है। इस पर नवंबर माह में हुए कैबिनेट की बैठक में कुछ संशोधन किए गए। इस बैठक में हुए निर्णय के अनुसार स्टोन क्रशर नदी से तीन किमी और स्क्रीनिंग प्लांट मैदानी क्षेत्रों में 300 मीटर और पर्वतीय क्षेत्रों में 200 मीटर की दूरी पर ही स्थापित किए जा सकेंगे। हालांकि, यह भी निर्णय लिया गया था कि दूरी के मानकों के संबंध में मुख्यमंत्री को परिवर्तन करने का अधिकार होगा।
कैबिनेट के इस निर्णय का खनन कारोबारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे पूरा कारोबार ठप हो जाएगा। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद इस संबंध में पत्रावली तैयार कर अब फिर से मुख्यमंत्री कार्यालय को अनुमोदन के लिए भेजी जा रही है।