देहरादून: मशीनरी या तो इतनी चुस्त-दुरुस्त हो गई है कि पलक झपकते ही आमजन की दिक्कतों का निदान कर दे रही या फिर शिकायतें दर्ज कराते-कराते लोग इतने थक चुके हैं कि अब उन्होंने इस बारे में बोलना ही बंद कर दिया है। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में मंत्रियों के जनता दरबार में फरियादियों की लगातार सिमटती संख्या तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है। शनिवार का वाकया ही ले लीजिए। जनता दरबार में राज्यमंत्री रेखा आर्य तो वक्त पर ठीक साढ़े ग्यारह बजे मौजूद रहीं, मगर फरियादी नदारद थे। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 30 मिनट तक चले जनता दरबार में महज तीन शिकायतें आई और वह भी नाममात्र की।
सरकार, संगठन और आमजन के बीच सामंजस्य की कड़ी में सरकार ने सितंबर में प्रदेश भाजपा कार्यालय में मंत्रियों के जनता दरबार की श्रृंखला प्रारंभ की। शुरुआत में इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में फरियादी उमड़े। वजह ये कि मंत्रियों के सामने बात रखने के लिए उन्हें विधानसभा अथवा सचिवालय में प्रवेश के लिए पास आदि का झंझट नहीं है। यही नहीं, मंत्री भी शिकायतों को गंभीरता से ले रहे हैं और तमाम मामलों में अधिकारियों को फोन कर निर्देशित किया जा रहा है। फिर भी फरियादियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।
असल में सितंबर में इसके पीछे जनता दरबार का निरंतर न लगना माना जा रहा है। सितंबर से अब तक जनता दरबार हर माह ही कुछ न कुछ कारणों के चलते कई-कई दिन बाधित हो रहा है। इसे देखते हुए अब यह बात भी लोगों के बीच से उठने लगी है कि आयोजन की गरिमा बनी रहे, इसके लिए यह आयोजन 15 दिन अथवा माह में एक बार होना चाहिए।
उत्तराखंड की राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य का कहना है कि मंत्रीगणों के गुजरात व हिमाचल चुनाव में व्यस्त रहने और राज्य स्थापना दिवस समारोह के चलते जनता दरबार कुछ दिन बाधित रहा। संभवत: इसी वजह से फरियादियों की संख्या में कमी आई है। अब जनता दरबार में मंत्रियों ने नियमित रूप से बैठना प्रारंभ कर दिया है। हां, यह जरूर है कि इसके लिए प्रचार-प्रसार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जनता दरबार का लाभ उठा सकें।