उत्तर भारत में भारी बारिश, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से 17 की मौत
नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में बारिश की वजह से कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोगों के लापता होने की खबर है। यमुना और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण अब दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। इसके बाद इन सभी राज्यों में मौसम विभाग का अलर्ट जारी किया गया है। वहीं यमुना नदी में हथिनी बैराज से 8 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हरियाणा ने सेना को तैयार रहने को कहा है।
उत्तराखंड के मोरी तहसील में बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया है। यहां अब तक इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो चुकी है।आपदा प्रबंधन के सचिव(प्रभारी) एस ए मुरुगेसन ने इस बात की जानकारी दी है। फिलहाल बचाव अभियान चल रहा है। बादल फटने के बाद बचाव अभियान के लिए संचार उपकरणों और रस्सियों के साथ मोरी के अरकोट के लिए दो हेलिकॉप्टरों ने उड़ान भरी। तीन मेडिकल टीमें अरकोट भी वहां पहुंची। यहां दो लोगों को देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड लाया गया। उन्हें दून अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। शिमला के चबा क्षेत्र में सतलज नदी पर बने फुटब्रिज का एक हिस्सा नदी में गिर गया। इस पुल से शकरा, बालदी, बिंदला और जेडवी गाँव को कनेक्टिविटी मिलती थी। इस इलाके में भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया है। हथनी कुंड बैराज से छोड़े गए 8 लाख क्यूसेक से अधिक पानी के बाद दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर गई है। इस वजह से अब दिल्ली पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। आज यमुना नदी का जलस्तर 204.70 मीटर रिकॉर्ड किया गया है जबकि चेतावनी का स्तर 204.50 मीटर है। दिल्ली सरकार ने नदी के किनारे बसे इलाकों से लोगों को निकल जाने के आदेश जारी किए है। इस काम के लिए नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को तैनात किया गया है। उत्तराखंड में बीते 24 घंटों में बादल फटने, नदी नालों में उफान व भूस्खलन की घटनाओं में जानमाल की काफी क्षति हुई है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 15 लोग नालों के उफान और मलबे के साथ बह गए, जबकि एक ही परिवार के आठ सदस्य मकान के मलबे में दब गए। ऐसे में नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 15 अभी लापता हैं। शिमला, केरल और महाराष्ट्र के बाद अब देश के पहाड़ी राज्य भारी बारिश और बाढ़ के कहर से जूझ रहे हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाके भी शामिल हैं। हिमाचल में तो 70 साल में पहली बार इतनी बारिश हुई है। इसके चलते अब तक 22 लोगों को मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। सात लापता बताए जा रहे हैं। कुल्लू जिले का संपर्क शेष दुनिया से कट चुका है। ऊना और शिमला-सोलन के बीच रेल यातायात भी प्रभावित हुआ है। वहीं, उत्तराखंड में बारिश के कारण नौ लोगों की मौत हो चुकी है। पंजाब में छह और उत्तर प्रदेश में तीन लोग काल का ग्रास बने। मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार कुछ राहत मिलने का संभावना है। 20 साल बाद अगस्त में बर्फ : हिमाचल की चोटियों पर 20 साल बाद अगस्त में बर्फबारी देखी गई है। कुल्लू जिले के रोहतांग र्दे और लाहुल-स्पीति की चोटियों पर हल्की बर्फबारी दर्ज की गई। हिमाचल प्रदेश के मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में पिछले 24 घंटे के दौरान औसत 102.5 मिलीमीटर बारिश हुई। वहीं, इससे पहले 14 अगस्त 2011 को 74 मिलीमीटर और 1950 में 100 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी। सबसे अधिक वर्षा श्री नैनादेवी में 330 मिलीमीटर हुई। दिल्ली में भी रविवार को बारिश हुई और यहां अधिकतम तापमान 29.7 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान 24.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकारियों ने बताया कि यमुना में जलस्तर बढ़ने से दिल्ली सरकार ने बाढ़ की चेतावनी जारी की है और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगह पर जाने की सलाह दी है क्योंकि यमुना में जलस्तर के खतरे के निशान को पार करने की आशंका है। हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से रविवार शाम चार बजे आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। 32 घंटे में इस पानी के दिल्ली आने की उम्मीद है। इससे दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ेगा।
फिलहाल अभी जलस्तर चेतावनी संदेश से नीचे है। बैराज से बड़ी मात्र में पानी छोड़े जाने से पूर्वी जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। प्रशासन ने खादर इलाकों को खाली करने के लिए मुनादी शुरू कर दी है। प्रशासन ने आपातकालीन स्थिति के लिए 011-22051234 नंबर जारी किया है। पूर्वी जिले के जिलाधिकारी दीपक ¨शदे ने खादर इलाकों में रहने वाले लोगों से इलाका खाली करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि लोग यमुना के किनारे न जाएं। यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और इससे खादर इलाकों में भी पानी भरने की आशंका है। दीपक शिंदे ने बताया कि भारी बारिश के कारण हथिनी कुंड बैराज से समय-समय पर पानी छोड़ा जा रहा है।